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09 अप्रैल 2012

सफल नहीं हो पाई है किसानों को सीधे एमएसपी भुगतान की योजना

कृषि जिंसों की मूल कीमतें और उपभोक्ता द्वारा चुकाई जाने वाली कीमतों के बड़े अंतर की भरपाई के लिए सरकार की तरफ की गई दो पहल को काफी कम कामयाबी मिली है। दरअसल कमीशन एजेंट और बिचौलियों ने इसका भारी विरोध किया है। सरकार ने उपभोक्ता कीमतों में कटौती के लिए फलों और सब्जियों की ई-ट्रेडिंग और अनाज के न्यूनतम समर्थन मूल्य के सीधे हस्तांतरण की पहल की थी।
वास्तव में, कई मामले में राज्य सरकारों ने भी इस व्यवस्था को आगे बढ़ाने में दिलचस्पी नहीं ली क्योंकि उन्हें लगता है कि नई पहल से इन कमीशन एजेंटों से कर के जरिए मिलने वाला भारी-भरकम राजस्व उनके हाथ से निकल जाएगा।
केंद्रीय भंडार में सालाना सबसे ज्यादा गेहूं का योगदान करने वाले राज्य पंजाब में भारी विरोध के चलते किसानों को सीधे न्यूनतम समर्थन मूल्य के हस्तांतरण का काम पिछले सीजन में धान की खरीद के दौरान बंद करना पड़ा था। इस साल भी यह व्यवस्था शायद ही कारगर हो, बावजूद इसके लिए सरकार ने 1 अप्रैल 2012 से न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान चेक के जरिए करना अनिवार्य कर दिया है।
एक अधिकारी का दावा है कि पंजाब में गेहूं उगाने वाले करीब 15 लाख किसान हैं और 1285 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सीधे एमएसपी का भुगतान किसानों को करने से भ्रष्टाचार और अक्षमता में इजाफा होगा। अधिकारियों ने कहा कि करीब 20 लाख लोग अप्रैल और मई के महीने में अपनी सालाना आमदनी का बड़ा हिस्सा अर्जित करते हैं और अगर एमएसपी का भुगतान सीधे किसानों को किया गया तो वे बेरोजगार हो जाएंगे। इनमें करीब 26,000 कमीशन एजेंट शामिल हैं। राज्य के अधिकारियों ने कहा कि यह व्यवस्था सालों से काम कर रही है और रातोंरात इसे बदलना व्यावहारिक नहीं है।
पंजाब में कमीशन एजेंट किसानों से अनाज एकत्रित करते हैं और इसे एफसीआई गोदाम में जमा कर उनके बदले एममएसपी प्राप्त करते हैं। उसके बाद कमीशन काटकर इसका भुगतान वे किसानों को कर देते हैं। कर्नाटक में भी इसी तरह के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा, जब सरकार ने फलों व सब्जियों की ई-ट्रेडिंग शुरू करने की योजना बनाई। अधिकारियों ने कहा - हमारी परिकल्पना यह है कि किसान अपने उत्पाद ऑनलाइन पेश करेंगे और खरीदार ऑर्डर देंगे, साथ ही इसे खेत से हासिल करेंगे।
हाल में स्थापित नैशनल सेंटर फॉर कोल्ड चेन डेवलपमेंट के निदेशक शैलेंद्र कुमार ने कहा - इससे उत्पादों को मंडियों में लाने की दरकार नहीं होगी और परिवहन के दौरान जल्द नष्ट होने वाले उत्पादों के नुकसान में भारी कमी आएगी। उन्होंने कहा कि झटका मिलने के बाद भी केंद्र सरकार राज्यों को समझाने में जुटी हुई है कि वह ई-ट्रेडिंग का मॉडल अपनाकर नुकसान की समस्या का समाधान करें और कमीशन एजेंटों व बिचौलियों की संख्या में कमी लाए। हम इस प्रस्ताव को सभी राज्यों के सामने रखेंगे, ताकि जल्द नष्ट होने वाले सामानों की ई-ट्रेडिंग शुरू हो। (BS Hindi)

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