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27 अप्रैल 2012

चढऩे लगा चावल पर महंगाई का रंग

बंपर उत्पादन के बावजूद करीब चार साल बाद चावल पर महंगाई का रंग फिर से चढऩे लगा है। भारी निर्यात मांग के कारण बासमती चावल-1121 तो महीने भर में ही 40 फीसदी से ज्यादा महंगा हो गया है। गैर-बासमती चावल भी निर्यात खुलने से चढ़ रहा है। इसी माह ईरान के साथ भुगतान समस्या सुलझने से बासमती की निर्यात मांग तेजी से बढ़ी है। सरकार ने भी इसी साल न्यूनतम निर्यात मूल्य घटाया था। इस वजह से भारतीय बासमती खासतौर पर पाकिस्तानी बासमती को पछाडऩे में कामयाब होता दिख रहा है।
अखिल भारतीय चावल निर्यात संघ के अध्यक्ष विजय सेतिया ने कहा कि ईरान के साथ भुगतान की दिक्क्त निपट जाने के बाद बासमती चावल की निर्यात मांग तेजी से बढ़ी है। गैर-बासमती चावल का निर्यात भी खूब हो रहा है। सितंबर 2011 से अब तक 25 लाख टन बासमती और 40 लाख टन से ज्यादा गैर-बासमती चावल का निर्यात हो चुका है। चावल निर्यातक रामविलास खुरानिया कहते हैं कि भारी निर्यात मांग के कारण बासमती चावल काफी महंगा हुआ है। पहले बासमती का न्यूनतम निर्यात मूल्य ज्यादा होने से पाकिस्तानी निर्यातक बाजार हथिया रहे थे, लेकिन अब भारतीय बासमती की मांग बढ़ी है।
दिल्ली अनाज कारोबारी संघ के अध्यक्ष ओमप्रकाश जैन कहते हैं कि तीन साल बाद बीते बरस गैर-बासमती के निर्यात की इजाजत मिली थी। निर्यात मांग बढऩे से डेढ़ माह के दौरान गैर-बासमती चावल में 250 से 400 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। इस बढ़ोतरी के बाद बाजार में पीआर-6  2,000 से 2,200 रुपये, पीआर-11 चावल  2500 से 2800 रुपये और प्रीमियम गैर-बासमती चावल शरबती 3,200 से 3,300 रुपये और सुगंधा 4,000 से 4,200 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है। बासमती-1121 के दाम 4,200 रुपये से बढ़कर 6,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। चावल कारोबारी सुशील गुप्ता कहते हैं कि भारी तेजी के बाद इस सप्ताह बाजार स्थिर हुआ है।

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