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14 जून 2012

एमईपी हटने से प्याज निर्यात को मिला दम

न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) की बाध्यता खत्म होने के बाद प्याज का निर्यात रफ्तार पकडऩे लगा है। जिससे प्याज किसानों की लागत निकलने लगी है। दरअसल बंपर उत्पादन के कारण प्याज के दाम उत्पादन लागत से भी नीचे चले गए थे, जो अब निर्यात के दम पर सुधरने शुरू हो गए हैं।
बीते माह सरकार ने दो माह (2 जुलाई 2012 तक) के लिए एमईपी की बाध्यता खत्म कर दी थी। इसका परिणाम यह हुआ कि मई में 1.71 लाख टन प्याज निर्यात हुआ, जो अप्रैल में निर्यात 89 हजार टन की तुलना में 90 फीसदी ज्यादा है। बीते साल की समान अवधि से भी यह करीब 17 फीसदी ज्यादा है।
प्याज निर्यातक केबल कोचर ने कहा कि एमईपी हटने से प्याज के निर्यात ने जोर पकड़ा है। इस समय बांग्लादेश, मलयेशिया, दुबई और कोलंबो को प्याज का निर्यात हो रहा है। उनका कहना है कि बंपर उत्पादन के कारण घरेलू बाजार में प्याज सस्ता है, जिससे निर्यात मांग अच्छी है। महाराष्ट्र की पिंपलगांव मंडी के प्याज कारोबारी महेंद्र ठक्कर कहते हैं - निर्यात मांग बढऩे से इसके दाम 50-70 रुपये सुधरकर 400 से 550 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। अगले माह दाम 50 से 100 रुपये और चढऩे की संभावना हैं। दिल्ली में प्याज का थोक भाव 400 से 700 रुपये प्रति क्विंटल है।
राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास संघ के निदेशक आर. पी. गुप्ता कहते हैं - उत्पादन लागत 300 से 400 रुपये प्रति क्विंटल है और मंडी में इसका भाव 400 से 500 रुपये प्रति क्विंटल है। नई फसल की आवक के समय तो भाव 250 से 350 रुपये प्रति क्विंटल था, लेकिन अब किसानों की लागत निकलने लगी है। (BS Hindi)

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