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30 जून 2012

घटेगा आयात बिल

वैश्विक बाजारों में जिंसों की कीमतों में गिरावट भारतीय नीति निर्माताओं के लिए राहत का संकेत हैं। कच्चे तेल की कीमतों में नरमी और सोने व पॉलिश किए हुए हीरे पर आयात शुल्क बढ़ाने से चालू वित्त वर्ष में देश का आयात बिल 60 अरब डॉलर तक घटने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2011-12 में कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादों का औसतन 112 डॉलर प्रति बैरल की दर से आयात किया गया। लेकिन मौजूदा समय में इनकी कीमत 90 से 91 डॉलर प्रति बैरल के करीब है यानी कीमतों में करीब 20 फीसदी की गिरावट आई है। इक्रा के मुताबिक 2011-12 में करीब 155.6 अरब डॉलर के कच्चे तेल का आयात किया गया। पिछले साल भारत ने 36.5 अरब डॉलर मूल्य के रसायनों का आयात किया था लेकिन अब कीमतों में गिरावट का रुख देखा जा रहा है। इससे करीब 4 से 5 अरब डॉलर की बचत हो सकती है। पिछले साल करीब 61.5 अरब डॉलर मूल्य के सोने-चांदी का आयात किया गया। हालांकि वैश्विक बाजारों में कीमतों में गिरावट के रुख के बावजूद घरेलू बाजार में सोने की कीमतें चढ़ रही हैं। लेकिन कीमतें बढऩे से घरेलू बाजार में मांग करीब 30 से 45 फीसदी घटने की उम्मीद है। 2012-13 के पहले दो महीनों में सोने का आयात बिल घटकर 4.3 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल इस दौरान 9.2 अरब डॉलर था। बुलियन बाजार के जानकारों का कहना है कि इस साल सोने के आयात में 35 से 40 फीसदी की गिरावट आ सकती है। रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद् के अनुसार 2011-12 में 14.4 अरब डॉलर के हीरे का आयात किया गया लेकिन मार्च के मध्य में 2 फीसदी आयात शुल्क लगाने के बाद हीरों के आयात में भी गिरावट देखी जा रही है। केयर के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, 'देश के कुल आयात बिल में सोने-चांदी और कच्चे तेल की हिस्सेदारी 50 फीसदी से ज्यादा है। ऐसे में इनकी कीमतों में गिरावट से आयात बिल में भी कमी आने की उम्मीद है।' (BS Hindi)

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