कुल पेज दृश्य

16 जुलाई 2012

भरपूर स्टॉक होने के बावजूद उत्तरी राज्यों में गेहूं महंगा

आर. एस. राणा नई दिल्ली उत्तर में तेजी- दक्षिण में सुस्ती - उत्तरी राज्यों में गेहूं की कमी होने से मिलों में खरीद के लिए आपसी स्पर्धा बढ़ी है। ओएमएसएस में खरीद के लिए 1,170 रुपये बेस प्राइस के मुकाबले 1,275-1,327 रुपये प्रति क्विंटल तक की कीमत पर निविदा भरी गईं। जबकि कर्नाटक, महाराष्ट्र व तमिलनाडु में निविदाएं बेस प्राइस के आसपास ही भरी गईं। खुले बाजार में सुलभता सीमित होने से वहां भी गेहूं महंगा हो रहा है। सरकार के गोदामों में गेहूं इतना ज्यादा है कि इसे रखने के लिए जगह नहीं है। पिछले दो साल से उत्पादन भी रिकॉर्ड स्तर पर रहा है। इसके बावजूद उत्तरी राज्यों में गेहूं के दाम बढ़ रहे हैं। चालू महीने में उत्तर प्रदेश में गेहूं के दाम 300 रुपये, मध्य प्रदेश में 200 रुपये और राजस्थान में 250 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ चुके हैं। दरअसल, इस साल उत्तरी भारत में फ्लोर मिलों की सरकारी गेहूं की खरीद जोरों पर है। जबकि सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत उत्पादक राज्यों में गेहूं का आवंटन दक्षिणी राज्यों के मुकाबले कम किया है। प्रमुख उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश से ज्यादातर गेहूं सरकारी खरीद के तहत केंद्रीय पूल में जाने से खुले बाजार में सुलभता बहुत कम है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम बढऩे से निर्यातकों की मांग भी बढ़ी है। केंद्रीय पूल में पहली जुलाई को 498.08 लाख टन गेहूं का भारी-भरकम स्टॉक मौजूद है। जबकि केंद्रीय पूल में कुल खाद्यान्न स्टॉक के मुकाबले भंडारण क्षमता कम होने के कारण करीब 30 लाख टन गेहूं अभी भी कच्चे में भंडारण किया हुआ है। कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन 902.3 लाख टन का हुआ है जबकि चालू रबी विपणन सीजन में गेहूं की सरकारी खरीद 379.63 लाख टन की हुई है। इसके बावजूद गेहूं की दाम बढ़ रहे हैं। श्रीबालाजी फूड प्रोड्क्टस के डायरेक्टर संदीप बंसल ने बताया कि पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश में गेहूं का स्टॉक नहीं होने के कारण निर्यातकों के साथ ही देशभर की फ्लोर मिलों की खरीद उत्तर प्रदेश और राजस्थान से बढ़ गई है। इसीलिए उत्तर प्रदेश में गेहूं के दाम बढ़कर 1,400 रुपये, मध्य प्रदेश में 1,375-1,400 रुपये और राजस्थान में 1,400 से 1,425 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। प्रवीन कॉमर्शियल कंपनी के डायरेक्टर नवीन कुमार ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतें बढऩे से निर्यातकों की भी खरीद बढ़ गई है। कांडला बंदरगाह पर पहुंच गेहूं की खरीद निर्यातकों द्वारा 1,500 से 1,525 रुपये प्रति क्विंटल की दर से की जा रही है। मध्य प्रदेश रोलर फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनिल अग्रवाल ने बताया कि उत्पादक राज्यों में ओएमएसएस के तहत गेहूं का आवंटन दक्षिणी राज्यों के मुकाबले कम किया गया है। मध्य प्रदेश को केवल 7,340 टन गेहूं आवंटित किया गया है। इस वजह से मिलों में गेहूं खरीद के लिए आपसी स्पर्धा बढ़ रही है और निविदा 1,275-1,327 रुपये प्रति क्विंटल तक की कीमत से भरी गई है। जबकि निविदा भरने का बेस प्राइस 1,170 रुपये प्रति क्विंटल है। इसके विपरीत कर्नाटक को 2.34 लाख टन गेहूं का आवंटन किया गया है। कर्नाटक में निविदा 1,170 रुपये प्रति क्विंटल के बेस प्राइस के आसपास ही भरी गई हैं। महाराष्ट्र और तमिलनाडु को क्रमश: 1.64 लाख टन और 89,124 टन का आंवटन किया गया है। इन राज्यों में भी 1,170 रुपये प्रति क्विंटल की दर से निविदा भरी गई है। उत्तरी राज्यों में उत्तर प्रदेश को 11,958 टन और राजस्थान के 5,815 टन गेहूं का ही आवंटन किया गया है। (Buisness Bhaskar...R S Rana)

कोई टिप्पणी नहीं: