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16 अगस्त 2012

महंगाई में ठंडे हो गए जेवर के तेवर

त्योहारी मौसम शुरू हो रहा है, लेकिन जेवरात के बाजार से रौनक गायब है। आभूषण कारोबारी सोने की ऊंची कीमतों और महंगाई को इसकी वजह बता रहे हैं और उन्हें डर है कि रत्न-आभूषण कारोबार पर आने वाला वक्त भारी पड़ सकता है। सोने का आयात घटाने की सरकारी नीति के कारण देसी बाजार में इस कीमती धातु की कीमत और बढऩे का खटका है। आभूषणों के रिटेल कारोबार का गढ़ दागिना बाजार मंदी और महंगाई की दास्तां बयां करता है। खाली बैठकर खरीदारों की बाट जोह रहे ज्वैलर बताते हैं कि कमरतोड़ महंगाई के बीच ग्राहक दुकानों पर चढऩे की हिम्मत ही नहीं जुटा पा रहा है। आलम यह है कि शुद्घता को ताक पर रखकर ग्राहक कम कैरेट के गहनों की ही मांग कर रहे हैं और 22 कैरेट सोने के आभूषण खरीदने भी कम लोग ही आ रहे हैं। पिछले काफी समय से सोने का भाव 30,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के करीब चल रहा है। अंतरराष्टï्रीय बाजार में सोना सस्ता हुआ, लेकिन रुपये की कीमत गिरने की वजह से देसी बाजार में उसका फायदा नहीं मिला। बॉम्बे बुलियन एसोसिएशन के अध्यक्ष पृथ्वीराज कोठारी के मुताबिक इतनी ऊंची कीमत पर सोने के जेवरात कोई नहीं खरीदना चाहता। इसीलिए त्योहारी सीजन शुरू होने पर भी बाजारों से रौनक गायब है। हालांकि ग्राहकों को लुभाने के लिए ज्वैलर छूट भी दे रहे हैं। मुंबई ज्वैलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कुमार जैन ने बताया कि कमोबेश हरेक कारोबारी छूट दे रहा है। कहीं जेवर की बनवाई (मेकिंग चार्ज) घटाई गई है तो कहीं महंगे जेवरात खरीदने पर तोहफे दिए जा रहे हैं। फिर भी कारोबारियों को उम्मीद कम है क्योंकि ग्राहक सोने से हाथ दूर ही रख रहे हैं। दरअसल इस साल की शुरुआत में 10 ग्राम सोने की कीमत 27,165 रुपये थी, जो अब 30,000 रुपये के ऊपर पहुंच चुकी है। मायूसी की हालत यह है कि मुंबई में सालाना आयोजन इंडिया इंटरनैशनल ज्वैलरी शो से भी कारोबारी नाउम्मीद ही हैं। ज्वैलरों का कहना है कि इस शो के बाद मांग और घटेगी क्योंकि विदेशी कारोबारी यहां खरीदारी करने नहीं बल्कि अपना माल बेचने आते हैं और देसी ज्वैलरों के पास पहले ही भारी मात्रा में माल जमा है। यह शो 23 से 27 अगस्त तक चलेगा। (BS Hindi)

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