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23 अगस्त 2012

यूसीएक्स का आगाज जल्द ही

देश का छठा जिंस वायदा एक्सचेंज यूनिवर्सल कमोडिटी एक्सचेंज (यूसीएक्स) जल्द ही शुरू हो सकता है क्योंकि वायदा बाजार आयोग ने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय से इसे मंजूरी देने की सिफारिश की है। मौजूदा समय में चालू पांच जिंस एक्सचेंज हैं मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज, नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव एक्सचेंज, नैशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज, ऐस डेरिवेटिव ऐंड कमोडिटी एक्सचेंज और इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज। वायदा बाजार आयोग के चेयरमैन रमेश अभिषेक ने कहा - 'हाल में हमने अपनी सिफारिशें उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को भेजी है, जो देश का छठा राष्ट्रीय जिंस वायदा एक्सचेंज होगा।' सूचना प्रौद्योगिकी के केतन सेठ द्वारा प्रवर्तित यूसीएक्स का वायदा बाजार में आगाज काफी महत्वपूर्ण होगा क्योंकि इस बाजार में नई चीजों के लिए शायद ही कोई जगह बची है। एक ओर जहां एमसीएक्स ने गैर-कृषि जिंसों के कारोबार में अग्रणी स्थान हासिल किया है और इसकी बाजार हिस्सेदारी करीब 85 फीसदी है, वहीं कृषि जिंसों के कारोबार मामले में एनसीडीईएक्स काफी मजबूत है। अहमदाबाद की एनएमसीई ने बागवानी क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल की है। बाकी दो एक्सचेंज ऐस व आईसीएक्स ने भी क्रमश: कृषि व गैर-कृषि जिंसों के कारोबार में जगह बनाई है और अपने लिए नया बाजार बनाया है, जो जिंस वायदा कारोबार के विकास के लिए लाभप्रद साबित हुआ है। नए खिलाडिय़ों के लिए हालांकि नई खोज महत्वपूर्ण होगी, जिसका वादा सेठ कर रहे हैं। लेकिन वह अभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं कि कारोबारियों के सामने पेश करने के लिए नया क्या है। सेठ ने कहा - 'हम नई खोज में जुटे हुए हैं और इसके आधार पर हम कारोबारियों को अपनी ओर आकर्षित करने में सक्षम होंगे। लेकिन इस बाबत हम अभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं।' अंतिम मंजूरी मिलने के बाद सेठ की योजना कम से कम 15-20 जिंसों में वायदा कारोबार तत्काल पेश करने की है, जिसके जल्द मिलने की उम्मीद है। सेठ ने कहा कि पहले दिन से ही हम कई जिंसों में वायदा कारोबार का प्लैटफॉर्म उपलब्ध कराएंगे और इनमें कृषि व गैर-कृषि दोनों शामिल होंगे। नियामक की तरफ से बार-बार कदम उठाए जाने के चलते पिछले कुछ सालों में स्थापित होने के बाद भी मौजूदा खिलाड़ी अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहे हैं। अनुबंध की एक्सपायरी के बाद कई अनुबंधों का निपटान नकदी में हुआ है। भारतीय प्लैटफॉर्म पर तांबा, एल्युमीनियम, जस्ता, सीसा और निकल जैसी जिंसों का अनुबंधों का निपटान अब तक नकदी में हुआ है। सार्वजनिक क्षेत्र की आईडीबीआई बैंक, इफ्को, नाबार्ड और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड इस एक्सचेंज के प्रमुख हिस्सेदार हैं। इस बीच, जिंस ब्रोकरों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए उनके साथ यूसीएक्स 'मॉक ड्रिल' शुरू कर चुका है, हालांकि वास्तविक सदस्यता अभियान शुरू होना अभी बाकी है। सेठ ने कहा कि यूसीएक्स ने शुरुआता में सदस्यों को दिए जाने वाले अब तक रियायत के मसले पर फैसला नहीं लिया है, जैसा कि अन्य एक्सचेंजों ने किया था। उन्होंने हालांकि ऐसी संभावनाओं से इनकार नहीं किया। इंदौर के नैशनल बोर्ड ऑफ ट्रेड ने पहले एफएमसी से अनुरोध किया था कि उसे राष्ट्रीय एक्सचेंज का दर्जा दिया जाए। लेकिन शेयरधारिता, तकनीक, निवेश जैसे विभिन्न मानकों के मामले में जिंस बाजार नियामक के मानदंडों पर उसे खरा उतरना अभी बाकी है। एक अन्य प्रस्ताव इस्पात इंडस्ट्रीज का है, जो फिलहाल ठंडे बस्ते में चला गया है। अभिषेक ने कहा कि इस्पात इंडस्ट्रीज से कुछ मसलों पर स्पष्टीकरण मांगा गया है, जिसे कंपनी ने अभी तक नहीं दिया है। (BS Hindi)

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