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20 अगस्त 2012

बारिश में सुधार, पर नुकसान की भरपाई नहीं

जुलाई के आखिर से दक्षिण पश्चिम मॉनसून में काफी ज्यादा बदलाव नजर आया है और अब उत्तर, पश्चिम और दक्षिण भारत के विभिन्न इलाकों में ठीक-ठाक बारिश हो रही है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि दक्षिण पश्चिम मॉनसून की बहाली में देरी से जून व जुलाई में हुए नुकसान की पूरी भरपाई करने में मदद नहीं मिलेगी। इस बारिश से ज्यादा से ज्यादा खड़ी फसल को मदद मिल सकती है, लेकिन यह भी सितंबर की बारिश पर निर्भर करेगा। भारतीय मौसम विभाग ने अपनी आखिरी भविष्यवाणी में कहा था कि अगस्त के मुकाबले सितंबर में कम बारिश होगी। मॉनसून के बहाल होने से हालांकि खरीफ फसलों की बुआई में मजबूती आई है और देश भर में बारिश जहां जुलाई के आखिर में सामान्य से 21 फीसदी कम थी, वहीं 17 अगस्त को यह करीब 16 फीसदी कम रह गई। नैशनल सेंटर फॉर एग्रीकल्चरल इकनॉमिक्स ऐंड पॉलिसी रिसर्च के निदेशक रमेश चंद ने कहा - मुझे लगता है कि शुरुआती दिनों में हुई कम बारिश की भरपाई मौजूदा बारिश से नहीं हो सकती। हम कुछ फसलों के रकबे में इजाफा तो कर सकते हैं, फिर भी वहां नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि साल 2011 के मुकाबले अनाज के उत्पादन में निश्चित तौर पर गिरावट आएगी। बारिश में सुधार से उत्साहित सरकार ने पिछले हफ्ते कहा था कि कुल मिलाकर खाद्यान्न के उत्पादन की स्थिति साल 2009 जैसी खराब नहीं रहेगी, जब देश में सूखा पड़ा था। सरकार ने कहा था कि कुल उत्पादन 21.81 करोड़ टन रहेगा। बारिश की स्थिति में सुधार के चलते पंजाब और हरियाणा में 17 अगस्त तक बारिश में कुल कमी घटकर करीब 65 फीसदी रह गई है जबकि पहले यह 70 फीसदी के उच्चस्तर पर थी। कर्नाटक के आंतरिक इलाके में बारिश में कमी घटकर लंबी अवधि के औसत के मुकाबले करीब 35 फीसदी रह गई जबकि पहले यह कमी 50 फीसदी थी। वहीं राजस्थान के पश्चिमी इलाके में बारिश में कुल कमी करीब 21 फीसदी रह गई। चंद ने कहा शुरुआत में बोई गई दलहन, मोटे अनाज और धान की फसल की परिपक्वता के लिए अब काफी कम समय बचा है, ऐसे में अंतिम उत्पादन पर निश्चित तौर पर इसका असर पड़ेगा। ब्लूमबर्ग न्यूज एजेंसी ने एक रिपोर्ट में कहा है कि देश में चावल का उत्पादन पिछले साल के रिकॉर्ड 920 लाख टन के मुकाबले 50-70 लाख टन घट सकता है, वहीं कुल खाद्यान्न उत्पादन 12 फीसदी तक घट सकता है। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री वाई के अलघ ने कहा - 90 दिन की फसल में अगर 40-45 दिन ठीक से बारिश नहीं होती है तो अंतिम उत्पादन पर इसका असर आखिर क्यों नहीं पड़ेगा। मुझे लगता है कि मौजूदा समय में हो रही बारिश से पंजाब व हरियाणा के किसानों को फायदा मिलेगा, लेकिन गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में सूखा रहेगा। उन्होंने कहा कि बारिश पर आश्रित पारंपरिक इलाके में अगर अभी से भी सही तरीके से बारिश नहीं होती है तो खरीफ की योजना को अंजाम दे चुके ज्यादातर किसान अब रबी सीजन का इंतजार करेंगे। बारिश में सुधार से देश के 84 जलाशयों के जलस्तर में बढ़ोतरी हुई है। जून के आखिर में जलाशयों में जल का स्तर 16 फीसदी के निचले स्तर पर था, जो अब 51 फीसदी पर पहुंच गया है। धान का रकबा 8 अगस्त तक 264.3 लाख हेक्टेयर पर था, जो अच्छी बारिश के चलते एक हफ्ते में 44 लाख हेक्टेयर बढ़ गया है जबकि मोटे अनाज का रकबा 12 फीसदी बढ़ा है। (BS Hindi)

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