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18 अगस्त 2012

कमजोर मानसून से सोने की खपत घटने के आसार

सूखे के कारण खाद्य वस्तुओं की कीमतें बढऩे के आसार हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में सोने से लेकर ट्रैक्टर तक तमाम गैर आवश्यक वस्तुएं खरीदने के लिए लोगों की क्रय शक्ति प्रभावित होगी। -अजय मित्रा, मैनेजिंग डायरेक्टर (भारत व मध्य-पूर्व), वल्र्ड गोल्ड काउंसिल मौजूदा वर्ष में सोने की मांग घटकर 688-700 टन के बीच रहेगी: डब्ल्यूजीसी चालू वर्ष 2012 की दूसरी छमाही में मानसूनी बारिश की कमी के कारण सोने की खपत में करीब 20 फीसदी की कमी आने का अनुमान है। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) का कहना है कि मानसून कमजोर रहने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की आमदनी पर प्रतिकूल असर पडऩे से सोने की मांग हल्की पड़ सकती है। सोने की ऊंची कीमत होने से भी इसकी मांग पर असर पडऩे के आसार हैं। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के मैनेजिंग डायरेक्टर (भारत व मध्य-पूर्व) अजय मित्रा ने कहा है कि दूसरी छमाही में मांग घटने के कारण मौजूदा वर्ष में सोने की कुल मांग घटकर 688-700 टन के बीच रहने की संभावना है। पिछले साल 2011 में कुल सोने की मांग 933.4 टन रही थी। उन्होंने कहा कि सोने की मांग पर कमजोर मानसून का असर पड़ सकता है लेकिन सूखे से निपटने के लिए सरकारी उपायों से यह प्रभाव कुछ कम हो सकता है। भारत में चार साल बाद कम बारिश के चलते कई क्षेत्रों में सूखे जैसी स्थिति पैदा हो गई है। इससे पहले 2009 में सूखे के हालात पैदा हुए थे। मित्रा ने कहा कि सूखे के कारण खाद्य वस्तुओं की कीमतें बढऩे के आसार हैं। इस वजह से आम लोगों की बचत कम हो जाएगी। इससे सोने से लेकर ट्रैक्टर तक तमाम गैर आवश्यक वस्तुएं खरीदने के लिए लोगों की क्रय शक्ति प्रभावित होगी। देश में आधे से ज्यादा आबादी ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर निर्भर करती है। डब्ल्यूजीसी के अनुसार चालू वर्ष की दूसरी तिमाही में निवेश और ज्वैलरी के लिए सोने की मांग 38 फीसदी घटकर 181.3 टन रह गई। सरकार द्वारा आयात पर ज्यादा शुल्क लगाए जाने और रुपया कमजोर होने से सोने का भाव रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने से सोने की मांग पर प्रतिकूल असर पड़ा। डब्ल्यूजीसी की रिपोर्ट के अनुसार चालू वर्ष की पहली तिमाही में सोने का आयात 36 फीसदी घटकर 383.2 टन रह गई। इस वजह से भारत को पीछे छोड़कर चीन दुनिया का सबसे बड़ा सोना बाजार बन गया। हालांकि मित्रा ने बताया कि सोने के आयात में गिरावट की रफ्तार धीमी पड़ रही है। सोने के आयात में भारी गिरावट का दौर खत्म हो गया है। जनवरी के बाद से आयात में कमी आ रही है। पिछले जुलाई माह में आयात तुलनात्मक रूप से बेहतर रहा। डब्ल्यूजीसी के अनुसार अब उपभोक्ताओं को सोने के मूल्य में ज्यादा बढ़ोतरी होने की गुंजाइश नहीं दिख रही है। इस वजह से पुराने सोने की सप्लाई बढ़ी है। दूसरी तिमाही में पुराने सोने की आवक बढ़कर 30 टन तक पहुंच गई। पिछले तीन साल में पुराने सोने की यह सप्लाई सबसे ज्यादा रही। मित्रा ने कहा कि अगर सोने की कीमत दूसरी छमाही बढ़ती है तो इसके आयात में गिरावट आने की पूरी गुंजाइश होगी। दूसरी तिमाही में सोने का आयात 56 फीसदी घटकर 131 टन रह गई। (Business Bhaskar)

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