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05 सितंबर 2012

सूखा राहत देने से कतरा रही केंद्र सरकार

देर से हुई बेहतर बारिश के बाद सूखा प्रभावित राज्यों को राहत देने पर फैसला लेने से केंद्र सरकार कतरा रही है। तभी तो सूखे पर गठित अधिकारप्राप्त मंत्रियों के समूह [इजीओएम] की बैठक मंगलवार को चौथी बार टाल दी गई है। यह तब है, जब कृषि मंत्री शरद पवार और ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने सूखा पीड़ित राज्यों का दौरा एक महीने पहले ही पूरा कर लिया है। अगस्त के पहले सप्ताह में ही केंद्रीय मंत्रियों का दल कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के दौरे पर गया था। उन्होंने अपनी विस्तृत रिपोर्ट भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंप दी। रिपोर्ट के मुताबिक इन राज्यों में बारिश न होने से हालात बहुत गंभीर थे। पेयजल और पशुचारे की भारी किल्लत थी। इसमें दोबारा बुवाई के लिए कम अवधि में तैयार होने वाली फसलों के बीजों की जरूरत बताई गई थी। केंद्रीय दल के दौरे के समय इन राज्यों की ओर से सूखे से निपटने की रणनीति का एक खाका सौंपा गया था। राज्यों ने अनुमानित खर्च का ब्यौरा भी पेश किया था। लेकिन अब उनके अनुमानित खर्च को बहुत अधिक बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने राज्यों को सूखे से निपटने के लिए तात्कालिक जरूरतें गिनाने को कहा है। वहीं, राज्य सरकारें केंद्र के इस नजरिये से सहमत नहीं है। उनका कहना है कि सूखे की चुनौती से निपटने की दीर्घकालिक रणनीति बनाई जानी चाहिए, ताकि 'सूखे के समय कुंआ खोदने' की जरूरत न पड़े। देश के आधा दर्जन प्रमुख राज्यों में खास तौर पर मई, जून और जुलाई में बारिश सामान्य से 50 फीसद तक कम हुई। इसकी वजह से खरीफ सीजन में फसलों की बुवाई का रकबा बहुत घट गया। सरकार ने हालत की गंभीरता को भांपते हुए आनन-फानन में कृषि मंत्री पवार के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय दल इन राज्यों का मुआयना करने के लिए भेज दिया था। दौरे पर जाने से पहले ही पवार ने कहा था कि लौटने के तत्काल बाद ईजीओएम की बैठक में राहत पर फैसला ले लिया जाएगा। दौरा पूरा किए एक महीने हो गए, मगर यह बैठक नहीं हो पाई है। इस बीच अगस्त और सितंबर में बारिश की स्थिति में सुधार होने से टालमटोल बढ़ गया। लिहाजा चार बार तारीख मुकर्रर करने के बावजूद यह मंत्रिसमूह एक साथ नहीं बैठा है। सूबों ने मांगी रकम राज्य , धनराशि पंजाब, 2,380 हरियाणा, 4,050 महाराष्ट्र, 3,700 कर्नाटक, 11,483 गुजरात, 14,683 (आंकड़े करोड़ रुपये में) (Dainik Jagran)

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