कुल पेज दृश्य

17 अक्तूबर 2012

दुग्ध उत्पादों के निर्यात में नरमी पर विचार

पशुपालन विभाग (कृषि मंत्रालय) दुग्ध उत्पादों के निर्यात में नरमी पर विचार कर रहा है। इस साल जून में विदेश व्यापार महानिदेशक ने स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) के मुक्त निर्यात नीति बनाने की पहल करने का फैसला लिया था। दूध पाउडर (डब्ल्यूएमपी) और डेयरी वाइटनर के मुक्त निर्यात के बाबत प्रस्ताव अभी विचाराधीन है। पिछले साल फरवरी में सरकार ने स्किम्ड मिल्क पाउडर, डब्ल्यूएमपी, डेयरी वाइटनर, इन्फेंट मिल्क समेत सभी दुग्ध उत्पादों के निर्यात पर पाबंदी लगाने का फैसला किया था। प्रतिबंधित दुग्ध उत्पादों में दूध व क्रीम कन्संट्रेट शामिल है। देश में इस वित्त वर्ष में दूध पाउडर की मांग 88,000 टन रहने का अनुमान है जबकि मौजूदा समय में कुल उपलब्धता 1.12 लाख टन है। दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक देश भारत में साल 2011 के दौरान कुल 12.10 करोड़ टन दूध उत्पादन का अनुमान है। नैशनल काउंसिल फॉर अप्लाइड इकनॉमिक रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, 1995-96 में 6.62 करोड़ टन दूध का उत्पादन होता था, जो 2010-11 में बढ़कर 12.18 करोड़ टन पर पहुंच गया। 2000-01 से 2010-11 के बीच दूध उत्पादन की औसत सालाना बढ़ोतरी दर 4 फीसदी है। योजना आयोग ने कहा है कि देश में दूध की सालाना जरूरत 2021-22 में करीब 18 करोड़ टन होगी। भारत में तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल गाय के दूध के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं जबकि उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पंजाब और गुजरात भैंस के दूध के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। दूध का थोक मूल्य सूचकांक 2004-05 से 2010-11 के बीच 76 फीसदी बढ़ा है, वहीं डेयरी उïत्पादों के थोक मूल्य सूचकांक में इस अवधि में 52 फीसदी की उछाल आई है। इस दशक में दूध व दुग्ध उत्पादों की प्रति व्यक्ति मासिक खपत ग्रामीण इलाकों में दोगुनी होने से ऐसा देखने को मिला है। भारत सरकार ने हाल में 17,000 करोड़ रुपये वाले राष्ट्रीय डेयरी योजना (एनडीपी) पेश की है ताकि साल 2021-22 में 20 करोड़ टन की मांग को पूरा करने के लिए देश में दूध का पर्याप्त उत्पादन हो। यह कार्यक्रम एक ऐसे वातावरण में संचालित होगा जहां चारे आदि की पर दबाव है और ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी की लागत बढ़ी है। भैंस को रोजाना चारा देने, साफ-सफाई करने और दूध निकालने में काफी मजदूर की दरकार होती है। (BS Hindi)

कोई टिप्पणी नहीं: