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10 अक्तूबर 2012

समय से पहले रबी की बुआई शुरू

इस साल मॉनसून सीजन में देर से हुई बारिश के चलते मिट्टी में नमी की उच्च मात्रा का फायदा उठाने के लिए किसानों ने रबी की बुआई करीब एक महीने पहले शुरू कर दी है। साथ ही जाड़े के सीजन में होने वाला कोहरा जल्द शुरू होने से भी किसानों के लिए मौसम अनुकूल हो गया है। एक ओर जहां उत्तरी कर्नाटक, पूर्वी व दक्षिणी राजस्थान और पूर्वी मध्य प्रदेश में गेहूं, रबी की कुछ तिलहन फसलों और दलहन की बुआई शुरू हो गई है, वहीं किसान पंजाब में कम अवधि में परिपक्व होने वाली धान की फसल की तेजी से कटाई कर रहे हैं। यह प्रगति महत्वपूर्ण है क्योंकि केंद्रीय खाद्य मंत्री के वी थॉमस ने हाल में किसानों को सलाह दी थी कि उत्पादकता की पूर्ण क्षमता का फायदा उठाने के लिए वे रबी फसलों की बुआई जल्द शुरू करें। गेहूं, चना, मसूर और रैपसीड-सरसों पूरी तरह रबी की फसल है। इसके अतिरिक्त 13 फीसदी धान, 25 फीसदी मूंगफली, 77 फीसदी सूरजमुखी, 20 फीसदी तिल और 35 फीसदी उड़द का उत्पादन रबी सीजन में होता है। सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर ड्राइलैंड एग्रीकल्चर (सीआरआईडीए) के निदेशक डॉ. बी वेंकटेश्वरलू ने कहा, किसानों ने रबी की बुआई इस साल जल्दी शुरू कर दी है और उनका लक्ष्य मिट्टी में पर्याप्त नमी का फायदा उठाते हुए ज्यादा उत्पादन का है। एक ओर जहां कम अवधि में परिपक्व होने वाली फसल की कटाई तेजी से हो रही है ताकि रबी के लिए खेत खाली किया जा सके। गेहूं की बुआई ज्यादा फसल क्षेत्र में लक्ष्य के साथ खाद्य व कृषि संगठन (एफएओ) का अनुमान है कि भारत में गेहूं का उथ्पादन साल 2012 में 8 फीसदी बढ़कर 939 लाख टन पर पहुंच जाएगा जबकि एक साल पहले 869 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ था। एफएओ का मानना है कि मॉनसून में देरी और प्रतिकूल मौसम के चलते कुल धान उत्पादन इस साल 14.77 करोड़ टन पर पहुंच जाएगा जबकि पिछले साल 15.65 करोड़ टन धान का उत्पादन हुआ था। अमृतसर के पूजा ट्रेडिंग कॉरपोरेशन के प्रोप्राइटर विमल सेठी ने कहा, पंजाब में धान की कटाई शुरू हो गई है क्योंकि गेहूं व रबी की अन्य फसलों की बुआई के लिए किसान जल्द से जल्द खेत खाली करना चाहते हैं। सामान्य तौर पर गेहूं की बुआई पंजाब में दिसंबर में शुरू होती है और इसकी कटाई अप्रैल में होती है। लेकिन इस सीजन में किसान जल्दी में हैं। वे जल्द से जल्द यानी नवंबर में गेहूं की बुआई शुरू करना चाहते हैं। इस साल मॉनसून की बारिश में दो महीने की देरी हुई, इस तररह से खरीफ की बुआई में भी आनुपातिक रूप से देरी हुई। इसके परिणामस्वरूप ज्यादातर किसानों ने कम अवधि में परिपक्व होने वाली (45-60 दिनों वाली) फसलों की बुआई की। दिल्ली की सुपीरियर एग्रो कॉरपोरेशन के निदेशक विकास गुप्ता के मुताबिक, चना, मसूर और उड़द की बुआई उत्तर प्रदेश, राजस्थान व हरियाणा में शुरू हो गई है। सामान्य तौर पर इन फसलों की बुआई दुर्गापूजा के आसपास शुरू होती है, लेकिन इस साल त्योहार एक महीने की देरी से होने के चलते इसकी बुआई जल्दी शुरू हो गई है। (BS Hindi)

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