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19 अक्तूबर 2012

चीन की खरीद से बढ़ेगा सूती धागे का निर्यात

चीन की तरफ से कपास आयात में करीब 50 फीसदी की कटौती के ऐलान के बाद कपास सलाहकार बोर्ड ने हालांकि साल 2012-13 के लिए निर्यात अनुमान में कमी कर दी है, लेकिन चीन के बढ़ते ऑर्डर से भारत से सूती धागे का निर्यात बढ़ रहा है। चीन को सूती धागे के निर्यात में बढ़ोतरी का रुख जारी रहने की संभावना है क्योंकि चीन में उपलब्ध कपास की कीमत वैश्विक बाजार के मुकाबले करीब 20 सेंट प्रति पाउंड ज्यादा है और इसी वजह से वहां सूती धागे की उत्पादन लागत बढ़ गई है। इसके परिणामस्वरूप चीन में स्पिनिंग का काम धीमा पड़ गया है। चूंकि वहां उत्पादन लागत में इजाफे के साथ मजदूरी की लागत बढ़ रही है, लिहाजा मिलें वैल्यू ऐडेड उत्पादों पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। वर्धमान ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक एस पी ओसवाल ने कहा, चीन न सिर्फ भारत से सूती धागे का आयात कर रहा है बलिल्क वह इंडोनेशिया व पाकिस्तान जैसे देशों से भी इसकी खरीद कर रहा है। हमें निश्चित तौर पर इसका फायदा मिल रहा है। भारतीय स्पिनर खुश हैं क्योंकि धागे के बढ़ते ऑर्डर के चलते वे अपनी क्षमता का इस्तेमाल करने की स्थिति में हैं। कपास सलाहकार बोर्ड ने इस वित्त वर्ष में 92 करोड़ किलोग्राम सूती धागे के निर्यात का लक्ष्य जाहिर किया है, वहीं डीजीएफटी के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष में देश से 82.76 करोड़ किलोग्राम धागे का निर्यात हुआ था। डीजीएफटी की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, इस वित्त वर्ष में सितंबर तक भारत से 46.15 करोड़ किलोग्राम सूती धागे का निर्यात हुआ है। भारत से मुख्य तौर पर चीन, बांग्लादेश, कोरिया और हॉन्गकॉन्ग को सूती धागे का निर्यात होता है, जिसके करीब 30 फीसदी हिस्से का निर्यात चीन को हो चुका है। कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज (सिटी) के महासचिव डी के नायर ने कहा, चीन ने हालांकि भारत से सूती धागे का आयात बढ़ाया है, बावजूद इसके बांग्लादेश इस कपास वर्ष में भारतीय सूती धागे के निर्यात का सबसे बड़ा गंतव्य बना रहेगा। लेकिन अगर चीन स्पिनिंग के काम में कटौती जारी रखता है तो यह अनुपात कुछ अवधि में बदल सकता है। कपास सलाहकार बोर्ड के मुताबिक, इस कपास वर्ष में कपास का निर्यात 70 लाख गांठ रहने का अनुमान है जबकि पिछले साल 120 लाख गांठ कपास का निर्यात हुआ था। (BS Hindi)

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