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27 नवंबर 2012

प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा बिल लागू करने की तैयारी शुरू

आर एस राणा नई दिल्ली प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा बिल को अभी संसद की मंजूरी तो नहीं मिली है लेकिन केंद्र सरकार ने इसको लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है। खाद्य मंत्रालय ने खाद्यान्न के भंडारण, खरीद और आवंटन का आकलन करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है जिसको 15 दिसंबर तक अपनी रिपोर्ट देनी है। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा बिल को ध्यान में रखते हुए सभी संबंधित मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की 9 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति बनाई गई है। अगले 10 साल को ध्यान में रखते हुए समिति को खाद्यान्न के भंडारण, खरीद और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में आवंटन का आकलन करके रिपोर्ट तैयार करनी है। विशेषज्ञ समिति की अभी तक दो बैठक हो चुकी हैं तथा जल्द ही तीसरी बैठक होगी। समिति को 15 दिसंबर से पहले अपनी रिपोर्ट सरकार को देनी है। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा बिल के लागू होने के बाद केंद्रीय पूल में खाद्यान्न के अधिक स्टॉक की आवश्यकता होगी। इसके साथ ही खाद्यान्न के भंडारण के लिए भी अतिरिक्त गोदामों की आवश्यकता होगी। खाद्य सुरक्षा बिल लागू होने के बाद सरकारी एजेंसियों को ज्यादा खाद्यान्न की खरीद करनी पड़ेगी। उन्होंने बताया कि विशेषज्ञ समिति खाद्यान्न से संबंधित सभी पहलुओं का अध्ययन करके रिपोर्ट तैयार करेगी, उसी के आधार पर आगे की रणनीति तय की जाएगी। प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा बिल इस समय संसद की स्थाई समिति के पास है। गरीबों को सस्ते अनाज का कानूनी अधिकार दिलाने के उद्देश्य से प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक के मसौदे को कैबिनेट अपनी मंजूरी पहले ही दे चुका है। हालांकि सरकार के कुछ वरिष्ठ मंत्री अनाज की उपलब्धता और सब्सिडी के बढ़ते बोझ को लेकर इस पर चिंता जता चुके हैं। यूपीए की प्रमुख सोनिया गांधी की इस प्रिय योजना के लागू होने से देश की 63.5 फीसदी आबादी को कानूनी तौर पर तय सस्ती दर से अनाज का हक मिल जाएगा। इस कानून के लागू हो जाने के बाद सरकार का खाद्य सब्सिडी पर खर्च 27,663 करोड़ रुपये बढ़कर 95,000 करोड़ रुपये सालाना हो जाएगा। इस पर अमल के लिए खाद्यान्न की जरूरत मौजूदा 550 लाख टन से बढ़कर 610 लाख टन के पार हो जाएगी। विधेयक के तहत प्राथमिकता वाले परिवारों को प्रति व्यक्ति सात किलो मोटा अनाज, गेहूं या चावल क्रमश: एक, दो और तीन रुपये प्रति किलो के भाव पर सुलभ कराया जाएगा। गरीबी रेखा से ऊपर एपीएल श्रेणी के परिवार में प्रति व्यक्ति को तीन किलो अनाज सस्ते दाम पर दिया जाएगा, जिसका वितरण मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के 50 फीसदी से अधिक नहीं होगा। (Business Bahskar.....R S Rana)

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