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06 नवंबर 2012

पैकेजिंग नियमों पर फैसला वापस ले सरकार: जूट उद्योग

चीनी और अनाज के लिए अनिवार्य जूट पैकेजिंग नियमों को कमजोर करने के आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) के फैसले से आहत जूट उद्योग ने इस मामले में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की अध्यक्ष सोनिया गांधी से हस्तक्षेप का अनुरोध किया है। जूट उद्योग चाहता है कि सरकार इस निर्णय को वापस ले। जूट उद्योग का कहना है कि सीसीईए के फैसले का पश्चिम बंगाल और 6 अन्य जूट उत्पादक राज्यों के 3 करोड़ किसानों और मजदूरों पर विपरीत असर होगा। सरकार के इस फैसले से कई लोगों की नौकरियां चली जाएंगी क्योंकि जूट मिलें या तो बंद हो जाएंगी या फिर उत्पादन में भारी कटौती करेंगी। हेस्टिंग्स जूट मिल और इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन (आईजेएमए) के पूर्व अध्यक्ष संजय कजारिया ने सोनिया गांधी को लिखे पत्र में कहा है, 'कांग्रेस पार्टी वर्ष 1987 से हमेशा जूट पैकेजिंग सामग्री अधिनियम (जेपीएमए) की रक्षा की है। लेकिन हैरानी की बात है कि इसी पार्टी ने बगैर किसी कारण अचानक यह सुरक्षा खत्म करने का फैसला लिया। जेपीएमए संसद का एक अधिनियम है। वर्ष 2001 से सरकार के फैसले के तौर पर सर्वोच्च न्यायालय ने भी इसे सही ठहराया है। अब प्लास्टिक उद्योग के हक में इस कानून के प्रावधानों को हलका किया जा रहा है लेकिन यह फैसला भी केवल संसद ही कर सकती है।' इस साल 11 अक्टूबर को सीसीईए ने जूट पैकिंग के नियमों को नरम करते हुए व्यवस्था दी थी कि केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय की सिफारिशों के आधार पर 60 फीसदी चीनी और 10 फीसदी अनाज की पैकेजिंग जूट की बोरियों में की जाएगी। इससे पहले वर्ष 2001 के दौरान इन नियमों में ढील दी गई थी। (BS Hindi)

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