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09 नवंबर 2012

चीनी के डिकंट्रोल से निवेश को बढ़ावा : उद्योग

चीनी उद्योग के संगठनों ने डिकंट्रोल के लिए जल्द कदम उठाने की मांग करते हुए कहा है कि नियंत्रण मुक्त होने से उद्योग की विकास दर में 15 से 20 फीसदी की तेजी आएगी, साथ ही इससे उद्योग में निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा। लेवी चीनी की बाध्यता समाप्त करने से उद्योग को सालाना करीब 3,000 करोड़ रुपये का फायदा होगा, जिससे गन्ना किसानों को समय पर भुगतान करने में मदद मिलेगी। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) और नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) द्वारा गुरुवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में इस्मा के अध्यक्ष गौतम गोयल ने बताया कि चीनी उद्योग को नियंत्रण मुक्त करने से उद्योग सालाना लगभग 15 से 20 फीसदी की विकास हासिल कर सकेगा। जबकि पिछले पांच-छह साल में प्राइवेट क्षेत्र में चीनी उद्योग की विकास दर न के बराबर रही है जबकि इस दौरान कॉ-आपरेटिव शुगर उद्योग लगभग घाटे में रहा है। उन्होंने बताया कि नियंत्रण हटने से चीनी उद्योग में निवेश को बढ़ावा मिलेगा। चीनी की लगातार बढ़ती खपत को देखते हुए यह जरूरी भी है। वर्ष 2020 में सालाना लगभग 320 लाख टन चीनी की घरेलू खपत होगी जो इस समय 220 लाख टन है। इस्मा के महानिदेशक अबिनाश वर्मा ने कहा कि लेवी चीनी की बाध्यता समाप्त कर देने से उद्योग को सालाना करीब 3,000 करोड़ रुपये का फायदा होगा। इससे उद्योग किसानों को समय से गन्ने का भुगतान कर पाएगा। वर्तमान में मिलों को कुल उत्पादन का 10 फीसदी हिस्सा लेवी चीनी के रूप में देना अनिवार्य है। जबकि लेवी चीनी का दाम बाजार भाव से काफी कम है। उन्होंने कहा कि कोटा रिलीज सिस्टम को समाप्त कर देने से चीनी उद्योग को अपनी वित्तीय स्थिति सुधारने और चीनी के स्टॉक के बेहतर प्रबंध करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि चीनी उद्योग को नियंत्रण मुक्त करने से किसान, उपभोक्ता और उद्योग को फायदा होगा। एनएफसीएसएफ के मैनेजिंग डायरेक्टर विनय कुमार ने बताया कि लेवी चीनी, कोटा रिलीज सिस्टम और जूट पैकेजिंग अनिवार्यता को जल्द से जल्द समाप्त कर देना चाहिए। कोटा रिलीज सिस्टम से जहां सीधे चीनी मिलें प्रभावित होती हैं, वहीं अप्रत्यक्ष रूप से किसानों पर भी बोझ पड़ता है। उत्तर भारत के राज्यों में राज्य सरकारों द्वारा तय किए जाने वाले गन्ना मूल्य एसएपी की व्यवस्था और गन्ना आरक्षण व्यवस्था समाप्त करने जैसे मुद्दों पर अभी और चर्चा की आवश्यकता है। (Business Bhaskar)

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