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12 नवंबर 2012

जांच के घेरे में एनसीडीईएक्स

नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) में अनियमितता के चलते ग्वार वायदा के कारोबार पर रोक के महज चार महीने बाद एक्सचेंज एक बार फिर वायदा बाजार आयोग के घेरे में आ गया है। इस बार हालांकि मामला एनसीडीईएक्स के पंजीकृत गोदामों में डिलिवरी के लिए रखी काली मिर्च की खराब गुणवत्ता का है। कारोबारी सूत्रों के मुताबिक, एनसीडीईएक्स से जुड़ी वेयरहाउसिंग कंपनियों नैशनल कोलेटरल मैनेजमेंट सर्विसेज और जेआईसीएस लॉजिस्टिक्स ने 2500-3000 टन काली मिर्च की ऐसी खेप स्वीकार की है, जिसकी गुणवत्ता एनसीडीईएक्स के अनुबंध के मानकों के मुताबिक नहीं है। यह काली मिर्च विभिन्न कारोबारियों किशोर स्पाइसेज, हरतिया स्पाइसेज, अनुशा ट्रेडिंग, वीबी ट्रेडर्स, डीएस संस और ग्लोब कमोडिटीज प्राइवेट लिमिटेड जैसे एनसीडीईएक्स के हाजिर प्रतिभागियों ने गोदाम में जमा किया है। जब कारोबारियों ने इसकी शिकायत पिछले हफ्ते एनसीडीईएक्स से की तो एक्सचेंज ने हाल में जमा किए गए काली मिर्च की बानगी लेकर इसे पास के मान्यताप्राप्त प्रयोगशाला में जांच के लिए भेज दिया। एनसीडीईएक्स के प्रमुख (कॉरपोरेट सर्विसेज) ए कुमार ने कहा, हालांकि यह बानगी प्रथम दृष्टया ठीक नजर आ रही है, लेकिन हमने इसे जांच के लिए भेज दिया है और इसकी रिपोर्ट मंगलवार तक आने की उम्मीद है। शिकायत मिलने के बाद एक्सचेंज ने हाजिर प्रतिभागी को 2-3 दिन के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया था, लेकिन बाद में इसे बहाल कर दिया गया। इस बीच, जिंस बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। कारोबारी सूत्रों के मुताबिक, एफएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी फिलहाल कोच्चि के दो गोदामों की जांच कर रहे हैं, जहां कथित तौर पर खराब गुणवत्ता वाली काली मिर्च का बड़ा भंडार है। एफएमसी अधिकारी के मोबाइल पर बार-बार संपर्क किए जाने के बाद भी हालांकि कोई जवाब नहीं मिला। अधिकारी का यह दौरा हालांकि उपभोक्ता मामलों के मंत्री के वी थॉमस के दौरे से टकरा रहा है, जिनके चुनाव क्षेत्र में समस्या खड़ी हो गई है। मंत्री के हस्तक्षेप से हालांकि इस मुद्दे का तार्किक समाधान होने की संभावना है। डिलिवरी के लिए एनसीडीईएक्स के गुणवत्ता मानक में कहा गया है कि एमजी-1 में 11 फीसदी नमी होगी और यह दूसरे मानकों को भी पूरा करेगा और यही काली मिर्च डिलिवरी में दी जा सकती है। सूत्रों ने खुलासा किया है कि खराब गुणवत्ता वाली काली मिर्च में 13.5 फीसदी से ज्यादा नमी है और यह दूसरे मानक भी पूरा नहीं कर रहा है। एक्सचेंज ने काली मिर्च की अनिवार्य डिलिवरी (स्टैगर्ड डिलिवरी) हाल में शुरू की है और इससे डर पैदा हुआ है कि खराब गुणवत्ता वाले सभी कार्गो (जो मानकों को पूरा करने में नाकाम रहे हैं) जल्दबाजी में एक्सचेंज को डिलिवरी के लिए सौंप दिए गए हैं। बाजार के सूत्रों का अनुमान है कि खराब गुणवत्ता वाली 100 करोड़ रुपये की काली मिर्च की डिलिवरी की जा चुकी है जबकि कुमार का आकलन इकाई अंकों में है। भारत की काली मिर्च दुनिया भर में अपनी गुणवत्ता के लिए जानी जाती है। (BS Hindi)

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