कुल पेज दृश्य

08 दिसंबर 2012

किसानों की मिठाई, मिलों की पेराई!

आखिरकार लंबे इंतजार के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने आज पेराई सत्र 2012-13 के लिए गन्ने का राज्य समर्थन मूल्य (एसएपी) घोषित कर दिया। राज्य सरकार ने सामान्य किस्म के गन्ने के एसएपी में पिछले साल की तुलना में 17 फीसदी का इजाफा किया है। इसके लिए 280 रुपये प्रति क्विंटल की दर तय की गई है। राज्य में बड़े पैमाने पर इसी किस्म का गन्ना उगाया जाता है। एसएपी के दाम का ऐलान करने में उत्तर प्रदेश में पहली बार इतनी देरी हुई है। अगेती और अनुपयुक्त किस्म के गन्ने का भाव बढ़ाकर 290 रुपये प्रति क्विंटल और 275 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है जबकि पिछले साल इनका भाव क्रमश: 250 रुपये प्रति क्विंटल और 235 रुपये प्रति क्विंटल था। सरकार के अनुसार इससे चालू पेराई सत्र में किसानों को 21,500 करोड़ रुपये की राशि मिलेगी जबकि 2011-12 के दौरान 18,200 करोड़ रुपये किसानों को मिले थे। इस लिहाज से इस साल किसानों को 3,300 करोड़ रुपये अधिक मिलेंगे। भले ही किसान इससे कुछ खुश हो जाएं लेकिन उद्योग जगत का जायका जरूर इससे बिगड़ता दिख रहा है। उत्तर प्रदेश चीनी मिल संघ (यूपीएसएमए) के सचिव एसएल गुप्ता ने एसएपी में 40 रुपये प्रति क्विंटल के इजाफे को 'भारी बढ़ोतरी' बताते हुए कहा कि इससे बहुत 'अचंभा' हुआ है। उन्होंने कहा, 'वर्ष 2009-10 में 165 रुपये प्रति क्विंटल के भाव को देखते हुए 280 रुपये प्रति क्विंटल का भाव तीन साल में 70 फीसदी की बढ़ोतरी दर्शाता है। इस दौरान चीनी के भाव में महज 15 फीसदी का इजाफा हुआ है। हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों ने जहां 240 रुपये प्रति क्विंटल का एसएपी तय किया है तो तमिलनाडु में यही 225 रुपये प्रति क्विंटल है।' उनके मुताबिक इस सत्र में प्रदेश की चीनी मिलों के लिए लागत 35 से 36 रुपये प्रति किलो तक जा सकती है। इस साल एसएपी की घोषणा में देरी से चीनी मिलों और किसानों के बीच कलह शुरू हो गई थी क्योंकि किसानों को अपनी नकदी फसल कोल्हू और क्रशर पर जाकर बेचनी पड़ रही थी जो पिछले साल के एसएपी से भी कम दर पर भुगतान कर रहे थे। असल में गेहूं की बुआई के लिए खेत को खाली करने और त्योहारों और शादियों के लिए खर्च की व्यवस्था के लिए किसानों को फसल बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा था। मिल लॉबी बाजार के मुश्किल हालात का हवाला देते हुए सरकार पर एसएपी को पिछले साल के स्तर पर बरकरार रखने का दबाव बना रही थी। किसान 300 से 350 रुपये भाव मांग रहे थे और विपक्षी दल तो 400 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मांग रहे थे। (BS Hindi)

कोई टिप्पणी नहीं: