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19 दिसंबर 2012

अनुकूल मौसम से खिलेगी सरसों

इस साल सरसों की अच्छी कीमत मिलने से किसानों ने इसकी बुआई पर अधिक जोर दिया। साथ ही बीते सप्ताह ज्यादातर सरसों उत्पादक क्षेत्रों में हुई हल्की बारिश सरसों के लिए फायदेमंद साबित हुई। जिससे सरसों उत्पादन बढऩे की उम्मीद है। कारोबारियों को उम्मीद है कि इस मौसम के कारण उत्पादन में 10 से 18 फीसदी इजाफा होगा। हालांकि आगे कोहरा बढऩे और नुकसान होने का खटका भी उन्हें सता रहा है। कमोडिटीइनसाइटडॉटकॉम के वरिष्ठï जिंस विश्लेषक प्रशांत कपूर कहते हैं कि 14 दिसंबर तक देश में 63.61 लाख हेक्टेअर भूमि में सरसों की बुआई हो चुकी है, जो पिछली समान अवधि की तुलना में 3 फीसदी से ज्यादा है। उन्होंने कहा कि बुआई में बढ़ोतरी भले ही बहुत ज्यादा न हो, लेकिन मौसम अभी सरसों के अनुकूल है। पिछले साल फसल को नुकसान से उत्पादन में भारी गिरावट आई थी। लिहाजा वर्तमान अनुकूल मौसम के चलते अगले साल 65 से 70 लाख टन सरसों पैदा होने की संभावना है। पिछले साल सरसों की पैदावार करीब 59 लाख टन थी। सेंट्रल आर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री ऐंड ट्रेड (कोएट) के अध्यक्ष लक्ष्मीचंद अग्रवाल भी पिछले हफ्ते की हल्की बारिश को इस फसल के लिए वरदान मान रहे हैं। उन्हें 65 से 70 लाख टन सरसों पैदा होने की उम्मीद है, बशर्ते आगे कोहरा फसल को ज्यादा नुकसान न पहुंचाए। हालांकि इंडियाबुल्स कमोडिटी लिमिटेड के सहायक उपाध्यक्ष (शोध) बदरुद्दीन कोहरे के बावजूद सरसों का उत्पादन ज्यादा रहने की उम्मीद है। इस साल उत्पादन में भारी गिरावट के कारण सरसों के दाम रिकॉर्ड 5,000 रुपये प्रति क्विंटल तक चले गए थे। अब अगले साल उत्पादन बढऩे से सरसों सस्ती होने की संभावना जताई जा रही है। (BS Hindi)

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