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15 दिसंबर 2012

आयोग निकालेगा एल्गोरिदम का दम

जिंस वायदा बाजारों में मिनी सौदों में एल्गोरिदम ट्रेडिंग की सुविधा समाप्त करने के बाद वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) एल्गोरिदम और हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग (एचएफटी) के लिए दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप दे रहा है। उम्मीद है कि अगले महीने इन दिशा-निर्देशों को जारी कर दिया जाएगा। जिंस बाजारों में इस सॉफ्टवेयर आधारित ट्रेडिंग के अनुपात को देखते हुए नियामक चिंतित है। सबसे बड़े एक्सचेंज एमसीएक्स में दैनिक कारोबार का लगभग 20 फीसदी एल्गो ट्रेडिंग और एचएफटी से आता है जबकि दूसरे सबसे बड़े एक्सचेंज एनसीडीईएक्स में इस रास्ते के जरिये 8 फीसदी कारोबार आता है। अन्य एक्सचेंजों पर इसका अनुपात अधिक नहीं है और उनकी बाजार भागीदारी एक अंक में है। एफएमसी के एक अधिकारी ने कहा कि एक्सचेंजों से इस बारे में सुझाव मांगे गए हैं और इन पर विचार-विमर्श के तुरंत बाद एल्गोरिदम के विनियमन के लिए सर्कुलर जारी किया जाएगा। चूंकि इस रूट (एल्गोरिदम) के जरिये कई ऑर्डर तुरंत प्लेस किए जाते हैं। इससे बाजार में खराब संकेत जा रहा था। इसलिए प्रस्तावित दिशा-निर्देशों के तहत एल्गो के जरिये एक बार जब ऑर्डर प्लेस किया जाएगा और यदि वह पूरा नहीं भी होता है तो उसे तुरंत रद्द करने की अनुमति नहीं होगी। बाजार में एल्गो ट्रेडिंग के तहत ऑर्डर की अनुमति नहीं दिए जाने का भी प्रस्ताव है। इस वित्त वर्ष के शुरू में पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एल्गो ट्रेडिंग को विनियमित किए जाने के लिए व्यापक नियम बनाने का निर्णय लिया था। स्टॉक एक्सचेंजों से इस विषय पर व्यापक दिशा-निर्देश जारी करने को कहा गया था जो पहले से ही अमल में हैं। एफएमसी ऑर्डर-टु-ट्रेड अनुपात पर भी विचार कर रहा है। इसका मतलब है कि इस प्रोग्राम के जरिये सभी ऑर्डर पूरे नहीं होते हैं। सौदों के कार्यान्वयन की संख्या बढ़ाने के लिए एक्सचेंज शुल्क में अधिक इंसेटिव देते हैं। इसके लिए कई स्लैब हैं और पहले स्लैब के तहत यदि ऑर्डर प्रति 50 ऑर्डरों के साथ पूरा होता है तो कम शुल्क लगता है और जब इससे अधिक ऑर्डर होते हैं और कार्यान्वयन (एक्जीक्यूशन) कम होता है तो शुल्क बढ़ जाता है। (BS Hindi)

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