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17 जनवरी 2013

नियामक सख्ती से काली मिर्च तेज

वायदा बाजार आयोग के सख्त रुख और बाजार में सटोरियों की सक्रियता से काली मिर्च तेज होती जा रही है। अधिक उत्पादन और कम निर्यात मांग की संभावना के बावजूद पिछले 15 दिन में इसकी कीमतें 10 फीसदी बढ़ चुकी हैं। हालांकि सटोरियों के सौदे बढऩे और किसानों के हाथ रोकने की वजह से चल रही तेजी किसी भी वक्त शांत हो सकती है। आयोग ने हाल ही में काली मिर्च के गोदाम सील किए हैं, जिसके बाद जनवरी के आरंभ से ही इसके हाजिर भाव 32,000 रुपये से बढ़कर 35,600 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गए हैं। एनसीडीईएक्स पर काली मिर्च का फरवरी अनुबंध 37,180 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है, जबकि 1 जनवरी को इस अनुबंध की कीमत 33,860 रुपये थी। कारोबारियों के मुताबिक कीमतों में तेजी की बड़ी वजह किसानों की ओर से आपूर्ति नहीं होना है। किसानों को लग रहा है कि गोदाम सील करने के बाद सरकार उनमें पड़ी काली मिर्च जब्त भी कर सकती है। बाजार में अफवाह है कि माल जब्त हो चुका है और नमी की वजह से चढ़ रहा है। ऐसी सूरत में बाजार में काली मिर्च की कमी होगी, जिससे कीमतें और बढ़ जाएंगी। दरअसल काली मिर्च के स्टॉक में मिलावट की शिकायत के बाद पिछले साल 18 दिसंबर को केरल में खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने एनसीडीईएक्स के मान्यता प्राप्त 6 गोदाम सील कर दिए, जिनमें 5,000 टन काली मिर्च पड़ी है। इसके बाद कीमतें चढऩे लगीं। बाजार जानकारों का कहना है कि सर्दियों में मांग बढऩे से थोड़ी कीमत तो समझ में आती है, लेकिन बाजार में भारी स्टॉक मौजूद रहने और उत्पादन बढऩे के बावजूद कीमतें ज्यादा बढऩा समझ में नहीं आता। हालांकि इस माहौल में वे आगे काली मिर्च की चाल का अनुमान लगाने से बच रहे हैं। इस साल देश में 60000 से 63000 टन काली मिर्च होने का अनुमान है। दुनिया भर में इस साल उत्पादन कुल 316832 टन रहने की संभावना है। आईपीसी के अनुसार 2012 के दौरान दुनियाभर में 3.27 लाख टन काली मिर्च का उत्पादन हुआ था जबकि 2011 में 3.18 लाख टन का उत्पादन हुआ था। (BS Hindi)

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