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09 फ़रवरी 2013

खाद्यान्न उत्पादन घटने की आशंका

सरकार ने आज अनुमान लगाया कि फसल विपणन वर्ष 2012-13 के दौरान खाद्यान्न उत्पादन तकरीबन 25.014 करोड़ टन रहेगा, जो पिछले वर्ष हुए उत्पादन के मुकाबले 91.8 लाख टन कम है। सरकार का कहना है कि मॉनसून के दौरान कमजोर बारिश के चलते खाद्यान्न उत्पादन में गिरावट आने की आशंका है। फसल विपणन वर्ष 2012-13 के लिए कृषि विभाग की तरफ से जारी दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक दालों को छोड़कर अन्य सभी फसलों की उपज पिछले साल के मुकाबले कम रह सकती है। पवार ने कहा, 'हमने पिछले साल 26 करोड़ टन अनाज का उत्पादन किया था। इस साल महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में सूखे के बावजूद 25 करोड़ टन अनाज उत्पादन का स्तर पार कर जाएगा।' उन्होंने कहा कि इस साल का उत्पादन घरेलू मांग पूरी करने के लिए पर्याप्त है। पवार यहां भारतीय राष्ट्रीय बीज एसोसिएशन (एनएसएआई) की तरफ से आयोजित भारतीय बीज कांग्रेस में बोल रहे थे। पवार ने कहा, 'वित्त मंत्रालय में हमारे सहयोगी दलहन और खाद्य तेल के ज्यादा आयात से चिंतित हैं। हमें इन दोनों जिंसों का उत्पादन बढ़ाना होगा जिसके लिए बीज में नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल और अन्य सहायता की जरूरत है।' पिछले साल के उच्च आधार प्रभाव की वजह से भी कृषि उत्पादन में गिरावट का स्तर बढऩे की आशंका है। मतलब यह कि पिछले साल की कृषि उपज सामान्य से अधिक रही थी। इस चलते इस साल उत्पादन में ज्यादा गिरावट नजर आ सकती है। नैशनल सेंटर फॉर एप्लाइड इकनॉमिक रिसर्च (एनसीएपी) के निदेशक रमेश चंद ने कहा, 'वर्ष 2011-12 भारतीय कृषि क्षेत्र के लिए असामान्य साल साबित हुआ, इसलिए वर्ष 2012-13 में उसे दोहराना मुश्किल है। इसके अलावा खरीफ सीजन के दौरान कम बारिश की वजह से कृषि भूमि के बड़े हिस्से में नमी की कमी रही।' आंकड़े दर्शाते हैं कि इस साल गेहूं उत्पादन 9.23 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल 9.48 करोड़ टन था। इस तरह इसमें तकरीबन 2.71 फीसदी की मामूली गिरावट आने की आशंका है। चावल का उत्पादन भी घटकर 10.18 करोड़ टन रहने की आशंका है। पिछले फसल वर्ष के दौरान 10.53 करोड़ टन चावल का उत्पादन हुआ था, यानी इसमें 3.33 फीसदी गिरावट की आशंका जताई गई है। इस दौरान मोटे अनाज का उत्पादन घटकर 3.84 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल 4.2 करोड़ टन था। हालांकि दलहन का उत्पादन बढ़कर 1.75 करोड़ टन हो सकता है, जो पिछले साल 1.7 करोड़ टन था। गैर-खाद्य वर्ग में तिलहन का उत्पादन मामूली रूप से घटकर 2.94 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल 2.97 करोड़ टन रहा था। कपास उत्पादन 3.52 करोड़ से घटकर 3.38 करोड़ गांठ रह जाने की आशंका है, जबकि गन्ने का उत्पादन 36.1 करोड़ टन से घटकर 33.45 करोड़ टन रह सकता है। वर्ष 2012 के दौरान देश के कुछ हिस्सों में मॉनसूनी बारिश सामान्य से कम हुई थी, जिसके चलते महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान और गुजरात में सूखे की स्थिति बनी। प्रमुख अनाज के उत्पादन में गिरावट के बावजूद कीमतों पर असर होने की आशंका नहीं है क्योंकि सरकारी गोदामों में पहले से ही 6.5 करोड़ टन खाद्यान्न पड़ा है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने गुरुवार को वर्ष 2012-13 के लिए सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) संबंधी अपने अनुमानों कहा था कि कृषि क्षेत्र की वृद्घि तीन वर्षों में सबसे कम 1.8 फीसदी रह सकती है, जबकि पिछले साल इस क्षेत्र ने 3.6 फीसदी वृद्घि हासिल की थी। कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) के अध्यक्ष अशोक गुलाटी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'खरीफ मौसम की बारिश सामान्य से कम रही, लिहाजा उत्पादन को लेकर चिंता वाजिब है, लेकिन रबी फसलों के बारे में मैं निश्चित तौर पर नहीं कह सकता कि उत्पादन संबंधी अंतिम आंकड़े कमतर रहेंगे। जहां तक मुझे जानकारी है, गेहूं का उत्पादन पिछले साल से भी बेहतर रह सकता है क्योंकि हालिया बारिश इस फसल के लिए फायदेमंद है।' (BS Hindi)

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