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30 मार्च 2013

थोक में काजू सस्ता पर खुदरा में अब भी महंगा

देश के प्रमुख थोक बाजारों में काजू की कीमतों में गिरावट आ रही है। इसकी वजह स्टॉकिस्ट और खुदरा विक्रेताओं की ओर से मांग में आई कमी को बताया जा रहा है। सभी किस्मों के काजू और उसके टुकड़ों की कीमतें जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान 18 से 26 फीसदी तक गिरी हैं। इनमें गिरावट ग्रेड के आधार पर अलग-अलग रही है। इस समय डब्ल्यू 320 ग्रेड के काजू की कीमत (एक्स फैक्टरी) करीब 445 रुपये प्रति किलो है, जो पिछले साल नवंबर में 545 रुपये प्रति किलो थी। इस तरह इसकी कीमतों में 18.3 फीसदी गिरावट आई है। डब्ल्यू 320 ग्रेड को अंतरराष्ट्रीय बाजार में सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। वहीं काजू टुकड़े की कीमत गिरकर 300 रुपये प्रति किलो से नीचे आ गई है। फिलहाल इसका भाव 280 रुपये प्रति किलो है, जो पिछले साल दीवाली के आसपास उसके 380 रुपये प्रति किलो के भाव से 26.3 फीसदी कम है। भारतीय काजू निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसीआई) के पूर्व चेयरमैन और मंगलूर के एक निर्यातक वॉल्टर डिसूजा ने कहा, 'इस समय खुदरा बाजार में धारणा काफी कमजोर है। आमतौर पर गर्मियों में काजू की मांग कम रहती है, क्योंकि इस दौरान बहुत अधिक त्योहार नहीं होते। वैवाहिक सीजन भी अभी शुरू नहीं हुआ है।Ó दिल्ली के बाजारों में पिछले 15 दिनों में डब्ल्यू 320 ग्रेड की कीमतें 6.25 फीसदी गिरकर 450 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास पर आ गई हैं जबकि टुकड़े की कीमतें 300 रुपये प्रति किलो से नीचे चली गई हैं। पिछली तिमाही के दौरान सभी ग्रेड के काजू (डब्ल्यू 180, 210, 240, 320 और 450) की कीमतों में गिरावट आई है। डिसूजा ने कहा, 'पिछले कुछ महीनों के दौरान बिक्री और खपत में लगातार गिरावट आ रही है। प्रसंस्करण इकाइयों को भी निर्यात बाजार से मदद नहीं मिल रही है, क्योंकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था और यूरो जोन संकट के कारण विदेशी खरीदारों की मांग में कमी आई है। चालू वित्त वर्ष की पिछली तिमाही में कुल मिलाकर बाजार अस्थिर रहा है।Ó हालांकि खुदरा बाजार में काजू की कीमतों में बड़ी गिरावट दिखाई नहीं देती है। देशभर के विभिन्न सुपर बाजारों और किराना स्टोरों में काजू 720 रुपये से 900 रुपये प्रति किलो की कीमत पर बेचा जा रहा है। मेंगलूर की निर्यातक कंपनी अचल कैश्यू के प्रबंध निदेशक जी गिरिधर प्रभु ने कहा, 'घटे दाम का असर खुदरा बाजारों तक पहुंचने में समय लगता है। परंपरागत दुकानें नियमित रूप से कीमतों की चाल का अनुमान नहीं लगा पातीं, क्योंकि वे नियमित रूप से काजू की खरीद नहीं करती हैं। इसलिए वे कीमतों में गिरावट का लाभ ग्राहकों को नहीं दे सकतीं। सुपर बाजार विभिन्न लागत जैसे लॉजिस्टिक, कर्मचारी लागत, जगह का किराया आदि जोड़कर कीमत तय करते हैं और अस्थिर बाजार में लाभ कमाने की कोशिश करते हैं।Ó उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों के दौरान इस तरह की लागत 30 से 40 फीसदी बढ़ी है और आमतौर पर सुपर बाजार तत्काल कीमतों में कमी के बजाय स्टॉक निकालने के लिए अन्य प्रोत्साहन देते हैं। कच्चे काजू की कीमतों में मामूली गिरावट से भी प्रंसस्कृत काजू की कीमतों में गिरावट आई है। कच्चे काजू की कीमतें भी गिरकर 67 रुपये प्रति किलो पर आ गई हैं, जो पिछले सीजन में 75 से 90 रुपये के बीच थीं। (BS Hindi)

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