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14 मार्च 2013

'खाद्य सुरक्षा कानून के लिए तैयार'

पहली बार वर्ष 2013-14 के केंद्रीय बजट में संप्रग-2 के महत्त्वाकांक्षी सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम 'खाद्य सुरक्षा कानूनÓ के लिए 10,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। यह आवंटन 80,0000 करोड़ रुपये की सामान्य खाद्य सब्सिडी के अतिरिक्त है। खाद्य मंत्री के वी थॉमस ने संजीव मुखर्जी को बताया कि खाद्य सब्सिडी के रूप में 90,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटन विधेयक को लागू करने के शुरुआती चरण के लिए पर्याप्त होगा। हालांकि उन्होंने वर्ष के दौरान और आवंटन की संभावना से भी इनकार नहीं किया। मुख्य अंश : बजट में खाद्य सुरक्षा विधेयक के लिए 10,000 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रावधान किया गया है। लेकिन हम इसे देखने से पता चलता है कि सामान्य सब्सिडी को 2013-14 के बजट अनुमान में घटाकर 80,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जो 2012-13 के संशोधित अनुमान में 85,000 करोड़ रुपये थी। वहीं, खाद्य सुरक्षा विधेयक के लिए 10,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन किया गया है। इस बारे में आप क्या कहेंगे? क्या खाद्य सब्सिडी को घटाया जा रहा है? ऐसा कभी नहीं हुआ है कि खाद्य विभाग की पूरी खाद्य सब्सिडी जरूरत को बजट में पूरा किया गया हो। कुछ आवंटन वर्ष के दौरान बाद में भी किए जाते हैं। किसी भी वर्ष में सब्सिडी की जरूरत प्रावधान की तुलना में अधिक हो सकती है जिसे या तो बाद में या फिर अगले वर्ष में पूरा किया जा सकता है। भारतीय खाद्य निगम के संदर्भ में 90,000 करोड़ रुपये का गैर-योजनागत खर्च होगा जो एक प्रमुख सब्सिडी है। क्या खाद्य सब्सिडी के लिए कम प्रावधान से 2013-14 में खरीदारी प्रक्रिया प्रभावित होने की आशंका है? मैं आश्वस्त कर सकता हूं कि खाद्य सब्सिडी के तहत बजट में जो कुछ भी दिया गया है, उससे एफसीआई की खरीद प्रक्रिया या भंडारण परिचालन पर प्रभाव नहीं पड़ेगा। एफसीआई की वित्तीय जरूरत पूरी तरह सरकार के हाथ में है और 2013-14 में भी रहेगी। क्या खाद्य सब्सिडी के लिए बजट में 90,000 करोड़ रुपये का प्रावधान राष्टï्रीय खाद्य सुरक्षा बिल को पेश किए जाने में सक्षम बनाएगा? बिल्कुल, हम राष्टï्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक के लिए तैयार हैं। इस विधेयक का कार्यान्वयन अब दो कारकों पर निर्भर है- संसद की मंजूरी और इसे पेश किए जाने के लिए राज्य सरकारों की तैयारी। जहां तक 2013-14 का सवाल है तो हमें विधेयक के संदर्भ में अधिक वित्तीय बोझ की आशंका नहीं है, क्योंकि हम इससे अवगत हैं कि राज्य सरकारें सिर्फ चरणबद्घ तरीके से ही इस विधेयक के कार्यान्वयन में सक्षम होंगी, क्योंकि इसके लिए प्रत्येक राज्य की क्षमता अलग अलग है। क्षमता के संदर्भ में मेरा तात्पर्य है उनकी तैयारी का स्तर, राशन कार्ड के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया, लाभार्थियों की पहचान आदि। इसके अलावा खाद्य सुरक्षा विधेयक पर वास्तविक खर्च का अंदाजा तभी चल पाएगा जब यह पूरी तरह पेश हो जाएगा। ऐसी भी चर्चा थी कि लेवी शुगर व्यवस्था को समाप्त किए जाने के प्रस्ताव के बाद सब्सिडी के समायोजन के लिए उत्पाद शुल्क लगाए जाने के लिए बजट में कुछ प्रावधान किए जा सकते हैं। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, इसलिए चीनी क्षेत्र को नियंत्रण-मुक्त किए जाने के प्रस्ताव पर आपका क्या कहना है? चीनी क्षेत्र को नियंत्रण-मुक्त करने संबंधी प्रस्ताव को बजट में लाए जाने की संभावना नहीं थी, क्योंकि यह एक नीतिगत मामला है। बजट में इस संबंध में प्रावधान नहीं किए जाने का मतलब है कि यह नहीं आएगा। सरकार भी इस प्रस्ताव पर कोई निर्णय नहीं ले पाई है। (BS Hindi)

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