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25 अप्रैल 2013

प्रणब मुखर्जी- सहकारिता के लिए कानून में संशोधन हो

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारतीय सहकारी संस्थाओं को पेशेवर बनाने की आवश्यकता है। इसके लिए राज्यों के कानून में केन्द्रीय कानून के अनुरूप संशोधन करना होगा, ताकि देश की छह लाख सहकारी संस्थाएं स्वायत्त, आत्मनिर्भर और लोकतांत्रिक निकाय के रूप में काम कर सकें। केन्द्र सरकार ने संविधान में 97वां संशोधन किया है, जो कि फरवरी 2012 से प्रभावी हो गया है। इसके जरिए सहकारी संस्थाओं को कामकाज में अधिक स्वायत्तता की पहल की गई है। प्रदेश सरकारों को केन्द्रीय कानून के अनुरूप अपने कानूनों को संशोधित करने के लिए फरवरी 2013 तक का एक साल का समय दिया गया है। मुखर्जी ने यहां सहकारिता उत्कृष्टता के लिए एनसीडीसी अवॉर्ड देने के बाद कहा, हाल ही में केन्द्र सरकार ने सहकारिता क्षेत्र के लिए संविधान का 97वां संशोधन कर बड़ी पहल की है, जो इन संस्थाओं के लोकतांत्रिक और स्वायत्त परिचालन को सुनिश्चित करता है। इस संशोधन से सहकारिता बनाने के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाया गया है। इस पहल को आगे जमीनी स्तर तक ले जाने के लिए राज्य सरकारों को भी आवश्यकतानुसार राज्यों के कानून में संशोधन करते हुए उपयुक्त माहौल बनाने की जरुरत है। मुखर्जी ने आगे कहा कि छह लाख सहकारी समितियों और 24 करोड़ सदस्यता के साथ सहकारिता के क्षेत्र ने समावेशी विकास में अहम योगदान किया है, लेकिन आज यह क्षेत्र चुनौतियों का सामना कर रहा है। हमारे देश में सहकारिता क्षेत्र कई चुनौतियों और समस्याओं का सामना कर रहा है। उनका प्रदर्शन और गतिविधियां विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग हैं। उन्हें क्षमता में सुधार लाने और अपने मूल कार्यक्षेत्र की जरुरतों को पूरा करने के लिए खुद को पेशेवराना ढंग से विकसित करने की जरुरत है। इसी तरह का समान दृष्टिकोण व्यक्त करते हुए कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा, इससे पहले कभी भी समेकित विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सहकारिता क्षेत्र के प्रति लोगों का विश्वास बहाल करने की इतनी आवश्यकता कभी महसूस नहीं की गई थी। इस परिप्रेक्ष्य में उन्होंने कहा कि बेहतर प्रशासन काफी महत्वपूर्ण हो चला है, क्योंकि बड़ी संख्या में सहकारी संस्थाएं कुप्रबंधन, वित्तीय विसंगतियों, सदस्यों और प्रबंधन के बीच बढ़ती दूरियों और कमजोर संसाधन इत्यादि जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रही हैं। कृषि मंत्री शरद पवार ने इस अवसर पर कहा, सहकारी क्षेत्र में सुधार की तुरंत आवश्यकता है, ताकि यह क्षेत्र पेशेवर ढंग से और स्वायत्‍तता के साथ काम कर सके।उन्होंने कहा कि भारतीय सहकारी आंदोलन दुनिया में सबसे बड़ा है। उर्वरक वितरण में सहकारी क्षेत्र का हिस्सा 35 प्रतिशत और चीनी उत्पादन में 46 प्रतिशत तक है। पवार ने कहा कि इस योगदान को देखते हुए कमजोर वर्गों के जीवन स्तर में सुधार लाने में सहकारिता क्षेत्र की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। राष्ट्रपति ने इससे पहले राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के स्वर्ण जयंती वर्ष के उपलक्ष में राष्ट्रीय पुरस्कार आवंटित किए। (Webdunia)

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