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30 अप्रैल 2013

पुराने गेहूं के लिए नई बोलियां

भारतीय खाद्य निगम ने अपने भंडार से 9,50,000 टन की गेहूं की बिक्री के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं। बोली की न्यूनतम कीमत 1,484 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है, जिसमें पंजाब और हरियाणा से परिवहन लागत शामिल नहीं है। यह गेहूं खुले सामान्य लाइसेंस (ओजीएल) के तहत निर्यात के लिए है। गेहूं करीब दो साल पुराना है, जिसकी खरीद 31 मार्च 2012 को समाप्त फसल विपणन वर्ष 2011-12 में की गई थी। आज जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक हरियाणा में निगम के गोदामों से निर्यात के लिए करीब 4,09,826 टन और पंजाब के गोदामों से 5,40,000 टन गेहूं बिक्री की पेशकश की गई है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि खाद्य निगम ने अपने गोदामों में भंडारित गेहूं के निर्यात के लिए निजी कारोबारियों से बोलियां आमंत्रित की हैं। इससे पहले केवल सरकार द्वारा संचालित ट्रेडिंग कंपनियों जैसे एसटीसी, पीईसी और एमएमटीसी को एफसीआई के गोदामों से गेहूं बेचने की स्वीकृति दी जाती थी। कुल मिलाकर सरकार ने इस तरीके से करीब 50 लाख टन गेहूं निर्यात की योजना बनाई है। इससे पहले एफसीआई ने अपने स्टॉक से 45 लाख टन गेहूं का निर्यात किया था, लेकिन यह निर्यात सरकार की ट्रेडिंग कंपनियों के जरिये किया गया था। एफसीआई के लिए निर्यात करना जरूरी हो गया है, क्योंकि निगम के पास अप्रैल 2013 तक खाद्यान्न का स्टॉक 600 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, जबकि जरूरत 212 लाख टन की थी। एक दिग्गज बहुराष्ट्रीय अनाज कारोबारी कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'नियम और शर्तें तर्कसंगत न होने से निविदा में भाग लेने वाले कारोबारियों का रुझान सुस्त है।Ó कारण कि सरकार द्वारा तय कीमतों और अंतरराष्ट्रीय कीमतों के बीच कोई समानता नहीं है। अधिकारी ने कहा, 'इस समय वैश्विक बाजारों में गेहूं की कीमत 300 डॉलर प्रति टन से नीचे है, जबकि सरकार से गेहूं खरीदने की लागत (1,484 रुपये प्रति क्विंटल, परिवहन और अन्य लागत जोड़कर) 320 डॉलर प्रति टन होगी। इसलिए दो साल पुराने गेहूं को ऊंची कीमत पर खरीदकर कम कीमत पर कौन इसका निर्यात करेगा?Ó उन्होंने कहा कि सरकारी गोदामों से गेहूं के निर्यात में निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार को गेहूं की कीमत कम करनी चाहिए। (BS Hindi)

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