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27 जून 2013

सिर्फ निजी कंपनियां

सिर्फ निजी कंपनियां ही नहीं, सरकारी क्षेत्र की सफल जैसी कंपनियां भी मंडी से खरीदारी करती हैं. हालांकि मदर डेयरी-सफल के बिजनेस हेड (हॉर्टिकल्चर) प्रदीप्त कुमार साहू कहते हैं, ''हम 80 फीसदी माल किसानों से खरीदते हैं. 25 साल के संघर्ष के बाद हम कामयाबी की ओर हैं, जबकि निजी कंपनियां अभी संघर्षरत हैं.'' वे कहते हैं, ''निजी कंपनियां मंडी से माल खरीदकर सफल नहीं हो सकतीं.'' लेकिन जिस तरह रिलांयस, बिग बाजार जैसी कंपनियां मंडी का ही रेट किसानों को देती हैं, सफल भी उसी राह पर है. सफल के प्रतिनिधि रोजाना मंडी का भाव पता करते हैं और उसमें से मंडी कर को घटाकर माल खरीदने के दूसरे दिन किसानों के बैंक खाते में पैसा ट्रांसफर कर दिया जाता है.

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