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27 जून 2013

मंडी में बिखरा है घंटों में फल पकाने का जहर, चेयरमैन बोले- हमें तो दिखा नहीं

कोटा। फलों को जल्दी पकाने के लिए धड़ल्ले से काम में ली जा रही केल्शियम कार्बाइड पर को रोकने की कार्रवाई तो हो नहीं रही, ऊपर से बचने के लिए जिम्मेदार अधिकारी और नेता साफ झूठ भी बोल रहे हैं। मंडी परिसर के अंदर ही दुकानों के सामने केल्शियम कार्बाइड की खाली और भरी पुड़िया फैली पड़ी हैं। और, जिम्मेदार कह रहे हैं कि उन्हें कहीं कार्बाइड दिखा ही नहीं। पिछले दिनों एरोड्रम सर्किल के पास फल विक्रेता की दुकान के सामने ड्रम में हुए विस्फोट के बाद भी न तो किसी ने जिम्मेदारी ली और न कोई कार्रवाई हुई। केवल नोटिस देकर ही इतिश्री कर ली गई। शुक्रवार को भास्कर के फोटो जर्नलिस्ट मंडी परिसर में पहुंचे तो चारों तरफ केल्शियम कार्बाइड की खाली और भरी पुड़िया फैली हुई थी। पास ही ट्रकों से खाली कर पपीतों को गोदामों में भरा जा रहा था। इस बार में जब मंडी समिति चेयरमैन लटूरलाल से पूछा तो वे बोले कि बाहर के गोदामों में ही कार्बाइड से फल पकाए जाते हैं, अंदर कौन डाल जाता है, ये उन्हें नहीं पता। सचिव कहते हैं कि उन्हें कार्रवाई का अधिकार ही नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के फूड इंस्पेक्टर की लापरवाही तो इनसे भी ऊपर है। वे कहते हैं कि 15 दिन पहले ही जांच की थी, कहीं भी केल्शियम कार्बाइड नहीं मिला। मंडी समिति ने केवल व्यापारियों को कार्बाइड प्रतिबंधित होने के नोटिस देकर इतिश्री कर ली। कानून सख्त, पालना नहीं स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से फूड सेफ्टी कमिश्नर्स को लिखा जा चुका है कि प्रिवेंशन ऑफ फूड अडल्ट्रेशन रूल्स, 1955 के नियम 44 एए के मुताबिक फलों को पकाने के लिए कार्बाइड का उपयोग गैर-कानूनी है। कैल्शियम कार्बाइड में कैंसर-कारी पदार्थ हैं। इसके अलावा त्वचा, किडनी, लीवर और पाचन तंत्र संबंधी बीमारियों को भी आमंत्रित करता है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्डस एक्ट में भी यह बैन है। व्यापारी भी दबी जुबान में मानते हैं पर अधिकारी नहीं फूड इंस्पेक्टरों को कार्बाइड से फल पकाने की प्रक्रिया नजर नहीं आती, सीएमएचओ को भी इसी तरह की रिपोर्ट दी। सच्चई : भास्कर को कुछ व्यापारियों ने ही बताया कि फुटकर विक्रेता ऐसा कर रहे हैं। हालांकि ऐसे फलों की बड़ी खेप बाहर से ही आती है। कैल्शियम कार्बाइड से फल पकाने के कोई सबूत नहीं मिले। केवल गोदामों का निरीक्षण किया गया, जहां ऐसा नहीं मिला। कानून : फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2006 के सेक्शन 58 में कार्बाइड पर सीधे कार्रवाई की जा सकती है। मौके से फल पकाने के काम लिए जा रहे कार्बाइड की बरामदगी शो कर कार्रवाई संभव है। जिसके तहत फर्द रिपोर्ट बनाकर गवाह बनाते हुए कोर्ट में इस्तगासा भी लगाया जा सकता है। इन्हीं फूड इंस्पेक्टर्स की ओर से गुटखे वाले मामले में इसी तरह कार्रवाई की जा चुकी है, जिसके लिए फूड सेफ्टी कमिश्नर ने ही आदेश जारी किए थे। क्या पता, कौन डाल जाता है ॥कार्बाइड से बाहर के गोदामों में ही फल पकाए जा रहे हैं, मंडी तो प्रतिबंधित हैं। अंदर कौन इसकी पुड़िया डाल जाता है, कैसे पता लगेगा। -लटूरलाल, थोक फल सब्जी मंडी समिति अध्यक्ष कार्रवाई का अधिकार नहीं ॥समिति को केल्शियम कार्बाइड के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार ही नहीं है। प्रतिबंध की जानकारी व्यापारियों को दे दी गई है। -एमएल जाटव, मंडी समिति सचिव कहीं नहीं मिला कार्बाइड ॥15 दिन पहले गोदामों की जांच की गई थी। कहीं भी कैल्शियम कार्बाइड से फल पकाना नहीं पाया गया था। अब यदि कोई शिकायत मिलेगी तो विभाग की ओर से कार्रवाई की जाएगी। - चौथमल शर्मा, खाद्य सुरक्षा अधिकारी अब बील भी जहर बन जाएगा? मरीजों के लिए सबसे मुफीद माने जाने वाले केला व पपीता इसी तरह पकाकर बेचे जाते हैं, जबकि कैंसर व अन्य घातक बीमारियों के इलाज से पहले व बाद में मरीजों को ऐसे फल खाने की सख्त मनाही है। हैरानी तो यह है कि अब तो आसानी से उपलब्ध अमृत फल बेल भी इस तरह बिक रहा है। कार्बाइड के कारण उस पर लाल रंग का निशान साफ नजर आ रहा है। ठेले वालों ने बताया कि मंडी से लाए बोरों में कार्बाइड की पुड़िया निकलती हैं।

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