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31 जुलाई 2013

चीनी हो सकती है महंगी!

सब्सिडी बोझ कम करने के लिए सरकार कुछ राज्यों को जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) यानी राशन के जरिये 13.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेची जाने वाली चीनी की खुदरा कीमतें बढ़ाने की अनुमति देने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। घटनाक्रम से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि कई राज्यों ने शिकायत की थी कि केंद्र ने चीनी की बिक्री पर 18.50 रुपये प्रति किलोग्राम की समान सब्सिडी निर्धारित की है जो खरीद कीमत अधिक होने से सस्ती दर पर चीनी की बिक्री के लिए अपर्याप्त है। सरकार ने चीनी क्षेत्र से नियंत्रण हटाने के प्रयासों के तहत चीनी पर कर व्यवस्था खत्म करनेे का फैसला किया था। साथ ही, उसने सस्ती दरों पर चीनी की बिक्री के लिए राज्यों को वित्तीय रियायत देने का भी निर्णय लिया है। सब्सिडी की गणना राज्यों द्वारा चीनी की खरीद कीमत 32 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से की गई है जबकि सब्सिडी के साथ बिक्री कीमत 13.50 रुपये प्रति किलोगा्रम तय की गई है। एक अधिकारी ने कहा, 'नई व्यवस्था में ढुलाई आदि की लागत शामिल नहीं है, खासकर उन राज्यों के लिए जहां चीनी नहीं है।Ó चीनी पर लेवी व्यवस्था समाप्त करने से पहले केंद्र सरकार 13.50 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दरों पर हर साल लगभग 27 लाख टन चीनी की बिक्री राशन दुकानों के जरिए करती रही है। अधिकारियों का कहना है कि दिशा-निर्देशों के अनुसार केंद्र सरकार नियमित बिक्री और त्योहारों के लिए अतिरिक्त आवंटन के लिए राशन चीनी की बिक्री पर सब्सिडी का भुगतान हर तीन महीने में करेगी। हालांकि केंद्र सरकार सब्सिडी का भुगतान आवंटन के मौजूदा स्तर पर आधारित मात्रा के हिसाब से करेगी। इस व्यवस्था की जरूरत पिछले महीने चीनी की लेवी व्यवस्था खत्म करने के फैसले के बाद महसूस की गई है। चीनी की लेवी व्यवस्था के तहत निजी चीनी मिल मालिकों को रियायती दर पर सरकार को चीनी की निर्धारित मात्रा बेचनी पड़ती थी। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली सीसीईए ने चीनी को नियमित रूप से जारी किए जाने की व्यवस्था भी समाप्त कर दी जिसके तहत चीनी मिलों को निर्धारित समय-सीमा के अंदर सिर्फ तय मात्रा की बिक्री की अनुमति थी। (BS Hindi)

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