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10 जुलाई 2013

खाद्य सुरक्षा अध्यादेश अंत्योदय और अन्नपूर्णा का बदला नाम : सुषमा स्वराज

गुडग़ांव, 6 जुलाई (हप्र)। यूपीए-2 सरकार खाद्य सुरक्षा अधिनियम की आड़ में लोगों को गुमराह कर रही है। यह योजना श्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार द्वारा शुरू की गई अंत्योदय और अन्नपूर्णा अन्न योजना को बंद कर नये नाम से शुरू की गई है। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने आज पार्टी के किसान मोर्चा की नवगठित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दूसरे दिन की बैठक को सम्बोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि भाजपा खाद्य सुरक्षा अधिनियम की सैद्धांतिक समर्थक है। यह योजना यूपीए-2 सरकार ने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार की शुरू की गई अन्न योजनाओं को रोककर नये रूप में लागू की है। पार्टी को इस योजना में कुछ संशोधन कराने हैं। लेकिन श्री वाजपेयी सरकार द्वारा लागू की गई अंत्योदय और अन्नपूर्ण अन्न योजना यूपीए सरकार ने बंद कर दी। फिर भी भाजपाशासित प्रदेश अपने वार्षिक बजट में घाटा डालकर उसे लागू करते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सामान्यत: जुलाई में लोकसभा का मानसून सत्र होता है। इस बार भी यूपीए-2 चाहेगी तो होगा। लेकिन जिस तरह से आनन फानन में यूपीए-2 ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम को लागू करने के लिए अध्यादेश जारी किया है उसमें सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के मन में खोट है। जब मानसून सत्र आने वाला है तो अध्यादेश क्यों जारी किया गया। सरकार बहस से बचना चाहती है या फिर लोकसभा का चुनाव करानी चाहती है। यह सब वोट के लालच में किया गया है। भाजपा नेता ने कहा कि इस अधिकार पत्र में किसानों के लिए समय पर खाद्य, सस्ते दामों पर बीज, पर्याप्त बिजली, कृषि आय योजना और किसानों के लिए बुढ़ापा पेंशन जैसे, किसान हितैषी विषयों पर गहराई से चिन्तन किया गया है। सुषमा स्वराज ने कहा कि सरकार आने पर भाजपा इस अधिकार पत्र को लागू करवाने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा यह चाहती है कि जमीन को बेचने के बजाए जमीन को लीज पर देने का प्रावधान हो। ताकि उस जमीन पर किसानों का मालिकाना हक भी बना रहे और उनको लीज रेंट के रूप में कुछ नियमित आय भी होती रहे। इसी अधिनियम से संबंधित दूसरे संशोधन पर चर्चा करते हुए भाजपा नेता ने कहा कि उनका ये सुझाव है कि 5 दिसंबर, 2005 जब ये भूमि अधिग्रहण संशोधन अधिनियम पहली बार लोकसभा में पेश किया गया, उसे ‘कट ऑफ डेट’ माना जाए और 5 दिसंबर, 2005 के बाद किसानों द्वारा बेची गई जमीन का यदि सरकार द्वारा अधिग्रहण किया जाता है, तो मुआवजे का 50 प्रतिशत किसान को मिलना चाहिए। ताकि किसानों को भूमाफियों द्वारा लूट से सुरक्षित किया जा सके। सुषमा स्वराज ने कहा कि, ये दोनों संशोधन प्रस्तावित अधिनियम में पेष किए जाएगें। खाद्य सुरक्षा अधिनियम पर सुषमा स्वराज ने कहा कि सैद्घान्तिक रूप से भाजपा इसके हक में है, लेकिन इसके वर्तमान स्वरूप से सहमत नहीं है, और सरकार द्वारा संसद की अवमानना कर अध्यादेश के माध्यम से इसे जारी करने का कड़ा विरोध करती है। जल्दबाजी में जारी किए गए अध्यादेश के पक्ष में सरकार के कुछ मंत्रियों का ये तर्क कि ये जीवनदायनी बिल है, हास्यासपद है। क्योंकि यदि ऐसा होता तो 2004 में सत्ता मे आई कांग्रेस सरकार को इसकी याद 10 साल बाद नहीं आती। वहीं, कार्यकारिणी के सुबह के सत्र में भाजपा वरिष्ठ नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि आज भारत के किसान के सामने प्रमुख समस्या अपनी जमीन को बचाने की है। सरकार, प्राइवेट बिल्डर और औद्योगिक घराने विभिन्न तरीकों से किसान की जमीन छिन रहे हैं व किसान को मजदूर बनाने पर आमाद है। जो किसान जमीन बचाने में कामयाब भी हैं, उन्हें बीज विहीन किया जा रहा है। बडी कम्पनियों ने सभी प्रमुख बीजों का पेटेंट करा कर किसान के सामने भूखे मरने का रास्ता तैयार कर दिया है। जो किसान इन बाधाओं को पार भी कर रहे हैं, उनको आयातित खादों पर निर्भर बना दिया है। कार्यकारिणी की बैठक में दूसरे दिन देश भर से आए 150 प्रतिनिधियों के अलावा आज के समारोह में भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय प्रभारी एवं सांसद पुरुषोत्तम रूपाला, भाजपा मोर्चों और प्रकोष्ठों के राष्ट्रीय संयोजक महेन्द्र पाण्डेय, हृदयनाथ सिंह, किसान मोर्चा के पेस्टीसाईट प्रभारी अनिल राव, भाजपा हरियाणा के प्रभारी प्रो$ जगदीशमुखी, सह प्रभारी डॉ. अनिल जैन, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष प्रो$ रामविलास शर्मा, भाजपा राष्ट्रीय सचिव एवं पूर्व सांसद डॉ. सुधा यादव, किसान मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष महिपाल ढाण्डा भी उपस्थित थे। Dainik Tribun

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