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10 जुलाई 2013

खाद्य सुरक्षा को सियासी पासा बनाने में जुटी कांग्रेस

देश में खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने के लिए केंद्र संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार द्वारा जारी अध्यादेश का ज्यादा से ज्यादा राजनीतिक लाभ लेने के लिए कांग्रेस पार्टी ने तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी खाद्य सुरक्षा विधेयक को 'पासा पलटने वाली पहलÓ यानी 'गेमचेंजरÓ के रूप में देख रही है। आगामी चुनाव में इसका ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाने के मकसद से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सभी कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों (पीसीसी) की बैठक बुलाई है। खाद्य सुरक्षा पर जारी अध्यादेश को जनता के बीच कैसे ले जाया जाए इस पर रणनीति तैयार करने के लिए नई दिल्ली में 13 जुलाई को बैठक बुलाई गई है। मंगलवार को खाद्य मंत्री के वी थॉमस ने विधेयक से संबंधित महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर पार्टी के 10 प्रवक्ताओं के साथ चर्चा की थी। पार्टी का मानना है कि इस विधेयक की मदद से उसे आगमी विधानसभा चुनाओं और 2014 के लोकसभा चुनाव में भारी राजनीतिक बढ़त मिल सकती है, जैसा कि वर्ष 2009 के चुनाव में मनरेगा ने किया था। सरकार ने इस महत्वपूर्ण विधेयक को लाने के लिए अध्यादेश का रास्ता अपनाया है जो इस बात का संकेत है कि पार्टी खाद्य सुरक्षा योजना के प्रचार प्रसार की सारी रुकावटों को दूर करने की इच्छुक है। अध्यादेश द्वारा लागू खाद्य सुरक्षा योजना के तहत 82 करोड़ लोगों को सस्ता खाद्यान्न प्राप्त करने का कानूनी अधिकार प्राप्त होगा। पार्टी यह सुनिश्चित करना चाहती है कि इस विधेयक को अपने पक्ष में भुनाया जा सके और इसके लिए वह ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच अपनी बात पहुंचाने के मकसद से काम कर रही है। इस साल जनवरी में जयपुर में आयोजित पार्टी के चिंतन शिविर के बाद 13 जुलाई को कांग्रेस के बड़े नेताओं का पहला बड़ा जमघट होगा। सूत्रों का कहना है कि पार्टी का ज्यादा जोर विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों पर है। विशेषकर ऐसे राज्यों में जहां इस साल विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं। कांग्रेस के एक वरिष्ठï नेता ने कहा, 'आमतौर पर हमने देखा है कि केंद्रीय योजनाओं की सफलता का लाभ लेने में हम पीछे रह जाते हैं। हम किसी भी कीमत पर खाद्य सुरक्षा अधिनियम के साथ ऐसा नहीं चाहते हैं। (BS Hindi)

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