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10 जुलाई 2013

खाद्य सुरक्षा बिल ऊंट के मुंह में जीरा समान

अहमदाबाद। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच मतभेद को लेकर हो रही चर्चा के बीच सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय के बयान के बाद अब खाद्य सुरक्षा अभियान से जुड़े केंद्र सरकार की राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के अन्य सदस्य हर्ष मंदर आदि ने भी सरकार के खाद्य सुरक्षा गारंटी अधिनियम में कमियां निकालना शुरू कर दिया है। सदस्यों का मानना है कि इसमें सुधार नहीं किया गया तो गरीबों को खाद्य सुरक्षा की गारंटी देना ऊंट के मुंह में जीरा के समान होगा। कानून में दो बच्चों पर बल दिया गया जो महिलाओं के मातृत्व अधिकार का भी हनन है। देश के पश्चिम राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात व महाराष्ट्र के किसानों, महिलाओं व वंचित वर्गो से मुलाकात के बाद राइट टू फूड कैंपेन व खाद्य सुरक्षा अभियान से जुड़े कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य हर्ष मंदर, सामाजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव, गुजरात प्रभारी नीता हार्डीकर आदि ने शनिवार को गुजरात विद्यापीठ में पत्रकारों को बताया कि खाद्य सुरक्षा कानून में प्रति व्यक्ति 5 किग्रा गेहूं देने का प्रावधान किया गया है जबकि एक वयस्क को प्रति माह 14 किग्रा व बच्चों के लिए 7 किलो गेहूं की आवश्यकता है। देश में कुपोषण की स्थिति के बाद भी अधिनियम में गरीबों को दाल, तेल व अन्य सामग्री देने का उल्लेख नहीं किया गया है। इसके अलावा जिस सार्वजनिक वितरण प्रणाली के बावजूद देश के 33 फीसदी लोग कुपोषण या भुखमरी के शिकार हैं उसी व्यवस्था के जरिए इस खाद्य सुरक्षा गारंटी का अमल संभव नहीं है। अन्य कानूनों की तरह इस कानून में भी दो बच्चों की अनिवार्यता पर जोर दिया गया है जो महिलाओं के नैसर्गिक मातृत्व अधिकार का हनन है।

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