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26 अगस्त 2013

जीएम फसलों पर रिपोर्ट पर सुनवाई टली

आनुवांशिक रूप से संशोधित फसलों पर विशेषज्ञ समिति की बहु-प्रतीक्षित रिपोर्ट पर आज सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विचार नहीं किया जा सका, क्योंकि इसकी प्रति सरकारी वकील और कुछ अन्य पक्षों के लिए उपलब्ध नहीं कराई गई थी। इसके अलावा डॉ. आर एस परोडा की अलग रिपोर्ट भी कार्यवाही से पहले उन्हें नहीं सौंपी गई जिसमें कहा गया था कि पैनल के अन्य पांच सदस्यों की राय से उन्हें अवगत नहीं कराया गया। न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाले खंडपीठ ने यह रिपोर्ट सभी पक्षों को उपलब्ध कराए जाने का निर्देश दिया था। इस रिपोर्ट में नियामक व्यवस्था में मतभेद दूर किए जाने तक जीएम फसलों के स्वतंत्र तौर पर फील्ड ट्रायल को रोके जाने की सिफारिश की गई है। एसोसिएशन ऑफ बायोटेक लेड एंटरप्राइजेज द्वारा इसका विरोध किया गया और इसने इसे प्रतिगामी करार दिया। कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठï वकील केके वेणुगोपाल ने कहा है कि एक बायोटेक नियामक बनाए जाने के लिए व्यापक विधेयक शीत सत्र में संसद में पेश किया जाएगा। इस विधेयक में प्रत्येक समस्या पर विस्तार से विचार किया गया है। जीएम फूड का विरोध करने वाले वकील प्रशांत भूषण का कहना है कि यह बिल महज एक ध्यान हटाने की योजना है। उन्होंने यह भी कहा कि डॉ. परोडा इस मुद्दे पर हितों के टकराव का शिकार हुए हैं। जीएम फूड के खतरों को लेकर दो याचिकाएं वर्ष 2004 से ही अदालत में लंबित हैं और इस मुद्दे को कई समितियों ने उठाया है। 6 सदस्यीय समिति नई है और इसकी रिपोर्ट हाल में बहस का मुद्दा रही है। इस मुद्दे को लेकर राजधानी में विरोध प्रदर्शन भी हो चुके हैं। (BS Hindi)

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