कुल पेज दृश्य

27 नवंबर 2013

चीनी मिलों को वित्तीय मदद देने के लिए सरकार सक्रिय

आर एस राणा नई दिल्ली | Nov 27, 2013, 00:04AM IST फॉर्मला - यूपी में गतिरोध खत्म करने और राहत देने का रास्ता निकला नया सीजन उत्तर प्रदेश में गन्ने का एसएपी पूर्ववत लेकिन मिलों को मंजूर नहीं मांग न माने जाने पर मिलों ने गन्ने की पेराई अभी तक शुरू नहीं की नियत तिथि एक अक्टूबर से पेराई में करीब दो माह की देरी हो चुकी महाराष्ट्र, कर्नाटक व आंध्र प्रदेश में कुछेक मिलों ने पेराई आरंभ की यूपी में चीनी का एक्स- फैक्ट्री भाव त्र2,925-3,000 प्रति क्विंटल दिल्ली में चीनी की थोक कीमतें त्र3,150 से 3,200 प्रति क्विंटल चीनी मिलों के ऋण के ब्याज में वित्तीय मदद देने के लिए कैबिनेट नोट तैयार आर्थिक घाटे से जूझे रहे चीनी उद्योग को राहत देने के लिए खाद्य मंत्रालय ने तैयारी शुरू कर दी है। चीनी मिलों को बैंकों से मिलने वाले ऋण के ब्याज का भुगतान शुगर डेवलपमेंट फंड (एसडीएफ) से करने के लिए खाद्य मंत्रालय कैबिनेट नोट तैयार कर रहा है। सरकार इस मदद के जरिये उत्तर प्रदेश में उत्पन्न गतिरोध खत्म करने और समूचे उद्योग को राहत देने पर विचार कर रही है। उद्योग की मांग के अनुरूप गन्ने का खरीद मूल्य घटाए न जाने के कारण उत्तर प्रदेश में मिलों ने अभी तक पेराई शुरू नहीं की है। खाद्य मंत्रालय के सचिव सुधीर कुमार ने बिजनेस भास्कर को बताया कि चीनी उद्योग को राहत देने के लिए बैंकों से लिए जाने वाले ऋण के ब्याज का भुगतान एसडीएफ से करने के लिए कैबिनेट नोट तैयार किया जा रहा है। चीनी मिलें अगर बैंकों से 3,000 करोड़ रुपये का ऋण लेती है तो ब्याज के रूप में करीब 350-400 करोड़ रुपये बनेगा, जबकि इस समय शुगर डेवलपमेंट फंड में लगभग 900 करोड़ रुपये का फंड जमा है। उन्होंने बताया कि मंत्रालय इस आशय का प्रस्ताव तैयार कर रहा है तथा इस पर अंतिम फैसला कैबिनेट कमेटी को करना है। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार की अध्यक्षता में वित्त मंत्री पी चिदंबरम और नागरिक विमानन मंत्री अजित सिंह ने चीनी उद्योग को राहत देने के लिए गत सप्ताह विभिन्न उपायों पर विचार-विमर्श किया था। इन उपायों में बैंकों से लिए जाने वाले ऋण के ब्याज का भुगतान करने के साथ ही रॉ-शुगर को आयात करके निर्यात करने की अवधि को भी करने जैसे उपायों पर चर्चा हुई थी। चीनी मिलों को चीनी की बिक्री पर प्रति क्विंटल 71 रुपये उत्पाद शुल्क देना होता है। इस आधार पर पेराई सीजन 2012-13 (अक्टूबर से सितंबर) के दौरान चीनी मिलों ने उत्पाद शुल्क के रूप में लगभग 1,750 रुपये करोड़ रुपये दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने चालू पेराई सीजन के लिए गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) पिछले साल के बराबर ही तय किया है। राज्य सरकार ने पेराई सीजन 2013-14 के लिए अगेती किस्म के गन्ने का एसएपी 290 रुपये प्रति क्विंटल, सामान्य किस्म के लिए 280 रुपये प्रति क्विंटल तथा दोयम किस्म के गन्ने के लिए 275 रुपये प्रति क्विंटल का दाम पूर्ववत रखा है। चीनी उद्योग गन्ने का एसएपी रंगराजन समिति के फार्मूले के आधार पर तय करने की मांग कर रहा है। अगर यह फॉर्मूला लागू किया जाता है तो गन्ने का खरीद मूल्य काफी घट जाएगा। इस वजह से राज्य सरकार ने उद्योग की यह मांग नामंजूर कर दी। लेकिन गन्ना मूल्य में कोई बढ़ोतरी भी नहीं है। मांग न माने जाने के कारण उत्तर प्रदेश में अभी तक चीनी मिलों ने गन्ने की पेराई शुरू नहीं की है। महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में कुछ चीनी मिलों ने गन्ने की पेराई आरंभ कर दी है। चीनी के एक्स-फैक्ट्री भाव उत्तर प्रदेश में 2,925 से 3,000 रुपये और दिल्ली में चीनी की थोक कीमतें 3,150 से 3,200 रुपये प्रति क्विंटल चल रही है। (Business Bhaskar....R S Rana)

कोई टिप्पणी नहीं: