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22 नवंबर 2013

एक दशक बाद एफएमसी को मिलेंगे कुछ अधिकार

* जिंस वायदा बाजार नियामक को मौद्रिक शक्तियों में होगा इजाफा * अब एफएमसी ज्यादा कर्मचारियों और विशेषज्ञ कर सकेगा नियुक्त * वित्त मंत्रालय ने कुछ मामलों में रियायतों का दिया आश्वासन जिंस वायदा बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) को एक दशक के इंतजार के बाद अब कुछ परिचालन रियायत मिल सकती है। इस समय एफएमसी अपना ज्यादातर समय एनएसईएल संकट से उपजे मसलों को सुलझाने में दे रहा है। चाहे इसे एनएसईएल का असर कहें या वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने का प्रभाव, पर अब नियामक को कुछ अधिकार मिलने जा रहे हैं। हालांकि पूर्ण अधिकार संपन्न बनने के लिए इसे अभी इंतजार करना होगा। नियामक को अब और ज्यादा मौद्रिक शक्तियां मिलेंगी। इसके अलावा यह ज्यादा कर्मचारियों व विशेषज्ञों को भर्ती कर सकेगा। इन कर्मचारियों और विशेषज्ञों की तादाद अधिकतम 200 हो सकती है। इसके अलावा नियामक को एक बड़ा कार्यालय मिलेगा। वर्ष 2003 में देशभर में ऑनलाइन जिंस एक्सचेंज शुरू होने के बाद से एफएमसी को ज्यादा शक्तियां देने की बातें और प्रयास हो रहे हैं। हालांकि नियामक को ज्यादा शक्तियां देने और बाजार के विस्तार के लिए जिंस वायदा का संचालन करने वाले वायदा अनुबंध नियमन अधिनियम (एफसीआरए) में संशोधन के प्रयास असफल रहे हैं। माना जा रहा है कि वित्त मंत्रालय ने एफएमसी को कानूनी सलाहकार, कर्मचारियों और विशेषज्ञ नियुक्त करने में ज्यादा रियायत देने का आश्वासन दिया है। मंत्रालय ने खर्च में भी कुछ वित्तीय रियायत देने का भी आश्वासन दिया है। इस बारे में जानकारी रखने वाले सूत्र ने बताया कि एफएमसी पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के नजदीक आ सकता है और कुछ आवश्यक दूरी बनाए रखते हुए दोनों एक्सचेंजों की नीतियों एकसमान हो सकती हैं। एनएसईएल मामले के बाद नियामक कानूनी राय लेने में व्यस्त है। बंबई उच्च न्यायालय में दायर कई मामलों में एफएमसी को पार्टी बनाया गया है। नियामक को इन मामलों में जवाब देना होगा। इसके पास अपना पक्ष रखने के लिए केवल एक सरकारी वकील है, जबकि अन्य वादी जाने-माने वकीलों को नियुक्त करने पर बड़ी राशि खर्च कर रहे हैं। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने एफएमसी से ई-सीरीज अनुबंधों के निपटान पर नजर रखने को कहा था। लेकिन बाद में इन अनुबंधों को भी फाइनैंशियल टेक्नोलॉजिस प्रवर्तित एनएसईएल ने स्थगित कर दिया था। अब एफएमसी को ऐसे और विशेषज्ञों को नियुक्त करने और खर्च करने की ज्यादा शक्तियां मिलेंगी। (BS Hindi)

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