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27 नवंबर 2013

मक्का उत्पादकों को रास आ रही मंडी

खरीद केंद्रों पर मक्का और धान बेचने की सुविधा दिए जाने के बावजूद मक्का उत्पादक किसान यहां मक्का बेचने में रुचि नहीं दिखा रहे। 58 खरीद केंद्रों में अब तक धान खरीदारी एक दर्जन केंद्रों में हो चुकी है, लेकिन यहां अब भी मक्का आने का इंतजार है। जगदलपुर ब्लॉक के बाबूसेमरा में खरीद प्रभारी राजू राव ने बताया कि प्रशासन के निर्देश पर मक्के की खरीद की व्यवस्था की गई है, लेकिन अब तक इसकी शुरुआत भी नहीं हुई है। दूसरी ओर कृषि उपज मंडी में 25 जुलाई से लेकर 25 नवंबर तक 4,596 क्विंटल मक्के की खरीद हो चुकी है। मंडी में किसानों को अपनी उपज बेचने में कोई परेशानी नहीं होती, जबकि खरीद केंद्रों पर उनके मन में नियमों के जाल में फंसने की आशंका रहती है। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के विपणन अधिकारी आरबी सिंह कहते हैं कि शासन ने किसानों को राहत देने के लिए इस साल मक्के की कीमत1200-1310 प्रति क्विंटल कर दी है, लेकिन किसान मक्का बेचने नहीं आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस साल अभी तक धान खरीद के लिए 25,258 किसानों ने पंजीयन करवाया है। बढ़ा रकबा और उत्पादन खास बात यह है कि जिले में नकदी फसल के तहत मक्के का रकबा और उत्पादन हर साल बढ़ रहा है। वर्ष 13-14 में 7 ब्लॉक में 5,000 से अधिक किसानों ने 29,882 हेक्टेयर में मक्के की खेती की थी और उत्पादन 73,000 टन रहा था। पिछले साल ही जिले के किसानों ने खरीद केंद्रों में 8,56,231 क्विंटल धान बेचा था, जिसमें मोटे धान की मात्रा अधिक रही। किसानों की मानें तो मक्के में अधिक फायदा देख व्यापारियों ने अपनी पहुंच बिचौलिए के माध्यम से उनके घर तक बना ली है। बकावंड ब्लॉक के एक किसान के मुताबिक व्यापारी अधिक दाम देने के साथ ही घर से ही माल उठा रहे हैं। सरगीपाल के किसान गोपाल धुर्वे ने बताया कि नगदी पैसा मिलने के चलते वे बड़े व्यापारियों को उपज बेचना पसंद करते हैं। (BS Hindi)

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