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01 जनवरी 2014

प्याज, टमाटर ने बिगाड़ा बजट

वर्ष 2013 में रसोई का बजट टमाटर, आलू और प्याज ने बिगाड़ा, जिनकी कीमतों में थोक और खुदरा दोनों बाजारों में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उपभोक्ताओं को दालों, खाद्य तेल और चीनी ने राहत दी, जिनकी कीमतों में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में बढ़ोतरी के बावजूद भारी गिरावट रही। खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार कैलेंडर वर्ष की तीसरी तिमाही में टमाटर और प्याज की खुदरा कीमतें आसमान में पहुंच गई थीं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में टमाटर का भाव 90 रुपये और प्याज का भाव 100 रुपये प्रति किलो पहुंच गया था। बिचौलियों की जमाखोरी और गोदामों में खराब होने से इन सब्जियों की कृत्रिम किल्लत पैदा हो गई थी। इसकी एक वजह बारिश के लंबे दौर से नए सीजन की फसल की बुआई और कटाई में देरी भी थी। हालांकि सरकार ने मुख्य उत्पादक देशों से आयात के जरिये प्याज की किल्लत दूर करने की भारी कोशिश की, लेकिन यह कीमतों को काबू करने के लिए नाकाफी था। जल्दी खराब होने वाली इन जिसों की कीमतें नए सीजन की फसल की आवक सुधरने के साथ नरम पड़ गई हैं। दिल्ली के खुदरा बाजार में आज टमाटर का भाव 30 रुपये, आलू का 20 रुपये और प्याज का 28 रुपये प्रति किलोग्राम रहा, जो पिछले साल से क्रमश: 114.29 फीसदी, 54 फीसदी और 27 फीसदी ज्यादा है। हालांकि थोक बाजार में इन जिंसों की कीमतों में बढ़ोतरी और ज्यादा थी। 2014 में कृषि जिंस कीमतों की चाल मॉनसून पर निर्भर करेगी। केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, 'वर्ष की शुरुआत में ऐसा लग रहा है कि मॉनसून सामान्य रहेगा और रसोई में काम आने वाली जिंसों की कीमतें कुलमिलाकर स्थिर रहेंगी। तिलहन और दलहन का उत्पादन स्थिर बना हुआ है और वित्त वर्ष 2014 में थोड़ा बढ़ ही सकता है, इसलिए सभी को यही लग रहा है कि कीमतें सीमित दायरे में रहेंगी।' दालों की कीमतों पर इस साल भारी दबाव रहा है और सरकार के निर्यात के जरिये व्यापार को संतुलित किए बिना आयात की इजाजत देने के फैसले से कीमतों में भारी गिरावट आई है। इसका मतलब कि केंद्र ने महंगाई बढऩे के डर से इस साल दलहन निर्यात पर रोक लगाए रखी। इसके नतीजतन 2013 में पूरे वर्ष उपभोक्ता महंगाई यानी सीपीआई दहाई अंक में बनी रहा और महंगी सब्जियों के चलते नवंबर में 11.24 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई भी नवंबर में बढ़कर 7.52 फीसदी रही, जो 14 महीनों में सबसे अधिक है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने खाद्य महंगाई पर चिंता जताई है। (BS Hindi)

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