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27 फ़रवरी 2014

खरीफ पर अल नीनो का प्रभाव संभव, पर 2009 जैसी स्थिति नहीं

भरोसा : अल नीनो की भविष्यवाणी के बाद कृषि मंत्री का विश्वास <> मैंने भारतीय मौसम विभाग के अधिकारियों से अल नीनो के बारे में बात की है। खरीफ में अल नीनो की आशंका बन रही है, लेकिन वर्ष 2009 जैसा प्रभाव पडऩे का अंदेशा नहीं है। खरीफ में कम बारिश की स्थिति से निपटने के लिए करीब 500 जिलों में आकस्मिक योजना तैयार की जा रही है। - शरद पवार, केंद्रीय कृषि मंत्री अल नीनो की भविष्यवाणी ऑस्ट्रेलिया के ब्यूरो ऑफ मेट्रोलॉजी ने आशंका जताई यूएस क्लाइमेंट प्रिडिक्शन सेंटर ने भी चेतावनी दी अल नीनो से कहीं सूखा तो कहीं भारी बारिश का खतरा इसका असर खाद्यान्न की पैदावार पर पड़ सकता है खरीफ में मानसून पर पडऩे वाले अल नीनो पर सरकार कड़ी नजर रखे हुए हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने दिल्ली में खरीफ फसलों पर आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन के अवसर पर संवाददाताओं से कहा कि देश में खरीफ फसलों पर अल नीनो से पडऩे वाले प्रभाव के बारे में अभी से कुछ कहना जल्दबाजी होगा। उन्होंने कहा कि मैंने हाल ही में भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अधिकारियों से अल नीनो के बारे में विचार-विमर्श किया है, हालांकि खरीफ में अल नीनो की संभावना बन रही है, लेकिन देश में फसलों पर वर्ष 2009 जैसा प्रभाव पडऩे की आशंका नहीं है। उन्होंने कहा कि खरीफ में कम बारिश होने की आशंका से देश के करीब 500 जिलों में आकस्मिक योजना के लिए तैयारी की जा रही है। दुनिया भर के मौसम में बदलाव से जुड़ी घटना अल नीनो से इस साल असर होने की आशंका बढ़ गई है। ऑस्ट्रेलिया के ब्यूरो ऑफ मेट्रोलॉजी और यूएस क्लाइमेंट प्रिडिक्शन सेंटर इस साल मौसम में अल नीनो होने की चेतावनी जारी कर चुका है। यह घटना हर 4 साल से 12 साल में होती है। यह एक ऐसी मौसम संबंधी घटना है, जिसकी वजह से भारत समेत दुनिया के कई देशों में भयंकर सूखे का दौर बन सकता है। साथ ही कई देशों में इसके असर से बाढ़ का खतरा भी बनता है। ऐसे में इसका असर खाद्यान्न की पैदावार पर पड़ सकता है। शरद पवार ने केंद्र और राज्य सरकारों के कृषि वैज्ञानिकों से तिलहन और मोटे अनाजों का उत्पादन बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि देश में खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन हो रहा है। इसके बावजूद वर्ष 2012-13 में देश में 73,840 करोड़ रुपये मूल्य के खाद्य तेलों का आयात हुआ है। इसलिए इनकी उत्पादकता बढ़ाने की जरूरत है। कई जिंसों की बिक्री न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे हो रही है, जो चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि एमएसपी निर्धारण करने की विधि पर ध्यान देने की जरूरत है। कृषि विकास के लिए जैव-प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार की वचनबद्धता को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र बढऩे की संभावना बहुत कम है, इसलिए सीमित भूमि से ही उत्पादकता बढ़ाकर खाद्यान्न, फल और सब्जियों की बढ़ती मांग को पूरा करना है। उन्होंने झांसी में रानी लक्ष्मीबाइ केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थापित करने की घोषणा भी की। (Busines Bhaskar....R S Rana)

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