कुल पेज दृश्य

28 फ़रवरी 2014

चीनी का उत्पादन घटने के बावजूद तेजी नहीं: इक्रा

अगले अक्टूबर में समाप्त होने वाले मार्केटिंग वर्ष 2013-14 के दौरान देश में चीनी का उत्पादन घटने की संभावना है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इक्रा की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में अत्यधिक बारिश और महाराष्ट्र में पिछले साल सूखे के कारण उत्पादन प्रभावित हो सकता है। रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में ज्यादा बारिश के अलावा किसानों का रुझान गन्ने की खेती में घटने के कारण चीनी का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। महाराष्ट्र में पिछले साल सूखा के कारण गन्ने की फसल प्रभावित हुई थी। तमिलनाडु में भी कम बारिश होने कारण उत्पादन कम रहेगा। इक्रा का अनुमान है कि चीनी का उत्पादन 15 फीसदी कम रह सकता है। इसके अलावा चालू सीजन में पेराई देरी से शुरू हो पाई क्योंकि गन्ने की खरीद के मूल्य का मसला सुलझ नहीं पाया। लेकिन पिछले साल का बकाया स्टॉक काफी ज्यादा 85 लाख टन रहने और विश्व बाजार में निर्यात कम होने के कारण चीनी की देश में सुलभता मांग से ज्यादा रहेगी। इक्रा के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट सब्यसाची मजूमदार ने कहा कि घरेलू बाजार में फिलहाल चीनी के दाम कम ही रहेंगे। उत्पादन में कमी आने के बावजूद सरप्लस स्टॉक और कमजोर निर्यात की वजह से तेजी को बल नहीं मिलेगा। इक्रा का मानना है कि चीनी मिलों को रॉ शुगर निर्यात करने के लिए 3333 रुपये प्रति टन सब्सिडी दिए जाने से भी निर्यात को ज्यादा समर्थन नहीं मिलेगा क्योंकि विश्व बाजार में मूल्य घट रहे हैं। चीनी उद्योग में निवेश की संभावनाएं : विशेषज्ञ 6वीं शुगर एशिया 2014 कांफ्रेस यहां गुरुवार को शुरू हुई। विशेषज्ञों के अनुसार भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है। इस वजह से इस उद्योग में इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी और कृषि क्षेत्र में निवेश की अच्छी संभावनाएं हैं। कांफ्रेंस के आयोजकों के बयान के अनुसार सरकार ने मिलों को पूरा उत्पादन खुले बाजार में बेचने की पूर्ण आजादी दे दी है। यह सकारात्मक कदम है। इससे विलय, अधिग्रहण और नई मिलों की स्थापना का रास्ता खुलेगा। इस कांफ्रेस में अमेरिका, नीदरलैंड, चैक रिपब्लिक, टर्की, इराक, श्रीलंका, इंडोनेशिया और जर्मनी के उद्योग प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। (Business Bhaskar)

कोई टिप्पणी नहीं: