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27 फ़रवरी 2014

ट्रेड पोजिशन जुड़ेगी ओपन इंटरेस्ट से

जिंस डेरिवेटिव्ज नियमों को प्रतिभूति डेरिवेटिव्ज के समान बनाने के लिए वायदा बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) ट्रेडिंग पोजिशन सीमा को ओपन इंटरेस्ट से जोडऩे के एक प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। प्रतिभूति बाजार में डेरिवेटिव खंड में शेयरों की सीमा इसके बाजार पूंजीकरण से जुड़ी हुई होती है और अगर कारोबार फ्री फ्लॉट मार्केट कैप से 95 फीसदी से पार निकलता है तो स्टॉक एक्सचेंज उसमें आगे की पॉजिशन रोक देता है और केवल स्वायर ऑफ (दिन की बिकवाली या खरीदारी को बराबर करने) की स्वीकृति मिलती है। जिंसों में यह जरूरत महसूस की जा रही थी कि पोजिशन सीमा और ओपन इंटरेस्ट में जुड़ाव होना चाहिए। इसकी जरूरत विशेष रूप से कृषि जिंसों के लिए होती है, जिनमें पिछले कुछ वर्षों के दौैरान ग्वार जैसी कुछ जिंसों में भारी कारोबार और ओपन इंटरेस्ट दर्ज किया गया है, जो उस जिंस के वार्षिक उत्पादन से भी ज्यादा थे। अब एफएमसी ने महसूस किया है कि ज्यादा पोजिशन सीमा होनी चाहिए, लेकिन इसे वैज्ञानिक तरीके से अंजाम देने के लिए इन्हें ओपन इंटरेस्ट से जोड़ा जा रहा है। ऐसे सुरक्षा इंतजाम और सीमाएं संबंधित जिंस के उत्पादन या खपत पर आधारित हो सकती हैं। हालांकि नए नियम किस तरह काम करेंगे, इसकी सही जानकारी का पता नियामक के इनकी घोषणा करने के बाद ही चल पाएगा। वित्त मंत्रालय ने एफएमसी से कहा है कि वह बाजार को अनावश्यक रूप से नियंत्रित करने की घटनाओं को कम करे और जिंसों में सुसंगठित कारोबारी पद्धतियों की शुरुआत करे। एफएमसी ने अब ट्रेड पोजिशन को ओपन इंटरेस्ट से जोडऩे की योजना बनाई है, जिससे सदस्यों को ओपन इंटरेस्ट के आधार पर परिवर्तित पॉजिशन बनाए रखने में मदद मिलेगी। एफएमसी के इस कदम से कारोबारी जिंसों में भागीदारी की गहराई देख सकते हैं और बाजार भागीदार यह देख सकते हैं कि कारोबारी नियमित रूप से इसका इस्तेमाल कारोबार के लिए कर रहे हैं या नहीं या जिंस में भागीदारी ज्यादा है या कम। इससे विभिन्न जिंसों में एक्सचेंज पर कारोबारी मात्रा को देखने में मदद मिलेगी। एफएमसी ने यह कदम जिंस बाजार में भागीदारी को बढ़ाने के लिए उठाया है। गैर -कृषि जिंसों पर जिंस लेन-देन कर (सीटीटी) लगाने के बाद जिंस कारोबार घटा है। इस समय पॉजिशन सीमा 15 फीसदी है और ग्राहक इसका पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। एफएमसी उन कारकों को लेकर भी चिंतित है, जो हाजिर और वायदा बाजार में असमानता पैदा कर रहे हैं। एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि वायदा में कारोबार में उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए सर्किट होता है, लेकिन हाजिर बाजार में कारोबार पर सर्किट नहीं होता है, इसलिए हाजिर बाजार में कीमतें में अनियंत्रित उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। वायदा में नियंत्रित उतार-चढ़ाव की वजह से कीमतों में अंतर देखने को मिलता है। आदर्श स्थिति यह है कि वायदा बाजार इस चीज को दर्शाता है कि हाजिर बाजार में क्या हो रहा है और यह आगे के रुझानों के संकेत देता है। लेकिन कीमतों में अंतर की वजह से वायदा से गलत संकेत मिलते हैं। कई बार वायदा में छोटी जिंसों के रुझान हाजिर बाजार के रुझानों पर असर डालते हैं। हालांकि विशेषज्ञों के मुताबिक छोटी जिंसों के लिए निगरानी की निगरानी की जरूरत है, ताकि अत्यधिक सट्टेबाजी को खत्म किया जा सके। (BS HIndi)

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