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18 मार्च 2014

सरसों में निवेश करके ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं निवेशक

आर एस राणा : नई दिल्ली... | Mar 15, 2014, 09:43AM IS प्रमुख उत्पादक राज्यों राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बारिश और ओलावृष्टि से सरसों की फसल को नुकसान हुआ है जबकि आयातित खाद्य तेलों के दाम ऊंचे बने हुए हैं। इसलिए आगामी दिनों में सरसों की कीमतों में तेजी की ही संभावना है। ऐसे में निवेशक वायदा बाजार में सरसों में निवेश करके मुनाफा कमा सकते हैं। एनसीडीईएक्स पर निवेशकों की बिकवाली से शुक्रवार को अप्रैल महीने के वायदा अनुबंध में सरसों की कीमतों में 1.29 फीसदी की गिरावट आकर भाव 3,442 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए जबकि सुबह भाव 3,480 रुपये प्रति क्विंटल पर खुला था। एग्री विश्लेषक अभय लाखवान ने बताया कि उत्पादक राज्यों में प्रतिकूल मौसम से सरसों की फसल को नुकसान हुआ है। नुकसान के साथ ही नई फसल की आवकों का दबाव बनने में भी 10-15 दिन की देरी होगी। आयातित खाद्य तेलों के दाम बढऩे से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी आई है। ऐसे में आगामी दिनों में सरसों की मौजूदा कीमतों में तेजी की ही संभावना है। शाकम्भरी खाद्य भंडार के प्रबंधक राधाकिशन गुप्ता ने बताया कि खराब मौसम के कारण उत्पादक मंडियों में सरसों की दैनिक आवकों का दबाव नहीं बना पा रहा है, जबकि खाद्य तेलों में मांग अच्छी होने के कारण तेल मिलों की मांग बराबर बनी हुई है। उत्पादक मंडियों में 42 फीसदी कंडीशन सरसों के दाम 3,200 से 3,300 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं जबकि दिल्ली में सरसों का भाव 3,450 से 3,500 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। साई सिमरन फूड्स लिमिटेड के डायरेक्टर नरेश गोयनका ने बताया कि आयातित खाद्य तेलों में डिस्पेरिटी होने के कारण आयात कम हुआ है इसीलिए आयातित खाद्य तेलों का स्टॉक भी कम है जिससे घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में भी तेजी आई है। साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार फरवरी महीने में खाद्य तेलों के आयात में 40 फीसदी की गिरावट आकर कुल आयात 5.78 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 9.69 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हुआ था। आयात कम होने के कारण भारतीय बंदरगाहों पर मार्च महीने में खाद्य तेलों का स्टॉक कम होकर 4.75 लाख टन का ही रह गया जबकि फरवरी महीने में 7.05 लाख टन खाद्य तेलों का स्टॉक था। आरबीडी पामोलीन तेल का भाव जनवरी महीने में भारी बंदरगाह पर 830 डॉलर प्रति टन था जोकि फरवरी में बढ़कर 870 डॉलर प्रति टन हो गया। इस दौरान क्रूड पाम तेल का भाव 837 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 882 डॉलर प्रति टन हो गया। कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी में सरसों की रिकॉर्ड पैदावार 82.51 लाख टन होने का अनुमान है जबकि वर्ष 2012-13 में 80.29 लाख टन की पैदावार हुई थी। दिल्ली वैजिटेबल ऑयल ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव हेमंत गुप्ता ने बताया कि उद्योग ने चालू रबी में 72.5 लाख टन सरसों उत्पादन का अनुमान लगाया है लेकिन हाल ही में हुई भारी बारिश और ओलावृष्टि से उत्पादन घटकर 68 से 70 लाख टन का ही होने का अनुमान है। (Business Bhaskar....R S Rana)

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