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24 मार्च 2014

अल नीन्यो के डर को मौसम विभाग ने बताया साजिश

माधवी सैली, नई दिल्ली ऑस्ट्रेलिया से लेकर अमेरिका तक के मौसम वैज्ञानिक खतरनाक 'मॉन्स्टर अल नीन्यो' पैटर्न उभरने के बेहद साफ संकेत मिलने का दावा कर रहे हैं। दावा है कि इससे इस साल साउथ एशिया में सूखा पड़ सकता है, लेकिन भारत के मौसम विभाग ने ऐसे अनुमानों की आलोचना की है और आरोप लगाया है कि ऐसी भविष्यवाणियों के जरिए देश के कमोडिटीज और स्टॉक मार्केट्स में उथल-पुथल मचाने की साजिश रची जा रही है। स्पेनिश भाषा में अल नीन्यो का मतलब होता है लिटल बॉय। हवा और गर्म जलधारा की दिशा में बदलाव के पैटर्न को अल नीन्यो कहा जाता है, जिससे प्रशांत महासागर के कुछ हिस्सों में सतह का तापमान बढ़ जाता है। अल नीन्यो के चलते दुनिया के कई हिस्सों में जहां ज्यादा बारिश होती है, वहीं कई अन्य इलाकों में सूखे के हालात बन जाते हैं। 2002 और 2004 में जब अल नीन्यो पैटर्न मजबूत हुआ था तो भारत में सूखा पड़ा था। 2009 में जब अल नीन्यो उभरा तो भारत को चार दशकों के सबसे कमजोर मॉनसून का सामना करना पड़ा। इसके चलते खाने-पीने की चीजों के दाम उछल गए थे और आरबीआई को महंगाई पर काबू पाने के लिए मौद्रिक नीति में सख्ती बरतनी पड़ी थी। अमेरिकी वैज्ञानिकों का कहना है कि इस साल मौसम से जुड़े डेटा साफ संकेत दे रहे हैं कि 1997-98 जैसा खतरनाक अल नीन्यो फिर सामने आ सकता है और यह पैटर्न एक साल या इससे ज्यादा समय तक बना रह सकता है। उनका कहना है कि इसके चलते साल 2015 अब तक का सबसे गर्म साल हो सकता है। हालांकि भारत का मौसम विभाग (IMD) इस बात पर यकीन नहीं कर रहा है कि 'लिटल बॉय' भारत में मानसून का हाल खराब कर सकता है। आईएमडी के डायरेक्टर जनरल लक्ष्मण सिंह राठौड़ ने कहा कि भारत के कमोडिटीज और स्टॉक मार्केट का पस्त होना तो अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के हित में है। उन्होंने कहा कि ऐसे अनुमानों के डर से लोग जमाखोरी करने लगेंगे और हो सकता है कि कमोडिटीज की कृत्रिम तंगी की हालत बन जाए। राठौड़ ने कहा कि उन साइंटिस्ट्स की सलाह पर ध्यान मत दीजिए। राठौड़ की बात इस लिहाज से समझी जा सकती है कि अल नीन्यो की वजह से हमेशा सूखे के हालात नहीं बने हैं। मॉनसून के बारे में आईएमडी के अनुमान अगले महीने आ सकते हैं। ये अनुमान अहम है क्योंकि जीडीपी में एग्रीकल्चर का हिस्सा भले ही कम हो गया हो, लेकिन देश की बड़ी आबादी अब भी खेती-बाड़ी पर ही निर्भर है। राठौड़ ने कहा कि मानसून भारत के लिए संवेदनशील मामला है। उन्होंने कहा कि पिछले एक महीने में कई फोरकास्ट आए हैं और कुछ एजेंसियां अपने पहले के अनुमानों से पलट भी गई हैं। हालांकि खतरे का अंदेशा जताने वाले बढ़ रहे हैं। पिछले हफ्ते चीनी वैज्ञानिकों ने भी अल नीन्यो पैटर्न की भविष्यवाणी की थी। जापान के मौसम विभाग, अमेरिकन क्लाइमेट सेंटर और ऑस्ट्रेलिया के ब्यूरो ऑफ मिटीयरोलॉजी ने भी इसी तरह की आशंका जताई है। (ET Hindi)

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