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05 अप्रैल 2014

फिर रुलाने को तैयार प्याज!

अभी भले ही प्याज के भाव राहत दिला रहे हों लेकिन आने वाले महीनों में यह फिर से लोगों के आंसू निकाल सकता है। इस साल प्याज के बंपर उत्पादन की संभावना जताई गई थी लेकि न बीते महीने बारिश और ओलावृष्टि के कारण फसल को नुकसान पहुंचा है। इसके कारण दो सबसे बड़े प्याज उत्पादक राज्य महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में रबी और खरीफ सत्र में होने वाले प्याज के उत्पादन में कमी आने की बात कही जा रही है। महाराष्ट्र में ही सबसे ज्यादा प्याज का उत्पादन और भंडारण होता है। लिहाजा पैदावार में कमी का असर इसके भंडारण पर भी पडऩे की आशंका है। जून से प्याज खपत की पूर्ति भंडारगृहों से होती है। शुरुआती अनुमान के मुताबिक वर्ष 2013-14 में करीब 190 लाख टन प्याज पैदा होने की उम्मीद थी लेकिन नुकसान के बाद अब इसमें 7 से 10 फीसदी कमी आ सकती है। राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के निदेशक आर पी गुप्ता ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि ओले और बारिश से महाराष्ट्र के नासिक, अहमदनगर, पुणे और सोलापुर जिलों में रबी और खरीफ (देर से बोई जाने वाली) सत्र वाली प्याज को नुकसान हुआ है। इससे राज्य में कुल पैदावार शुरुआती अनुमान से 15 फीसदी तक घट सकती है। महाराष्टï्र में इस साल करीब 60 लाख टन उत्पादन का अनुमान था। इसी तरह मध्य प्रदेश में भी पैदावार 10 फीसदी कम रहने की आशंका है। भारतीय सब्जी उत्पादक संघ के अध्यक्ष और महाराष्टï्र के किसान श्रीराम गाढवे भी मानते हैं कि प्रतिकूल मौसम ने बंपर प्याज उत्पादन की उम्मीद पर पानी फेर दिया। सबसे ज्यादा नुकसान महाराष्ट्र में हुआ है। गुप्ता के मुताबिक गुजरात, राजस्थान समेत अन्य उत्पादक राज्यों में खास नुकसान की खबर नहीं है। हालांकि जानकारों का कहना है कि उत्पादन के नुकसान से आगे प्याज की कीमतों में तेजी आ सकती है। दिल्ली के प्याज कारोबारी पीएम शर्मा ने कहा कि नुकसान की खबर के बाद प्याज की कीमत स्थिर हैं जबकि रबी वाली प्याज मंडियों में आने से भाव गिरने चाहिए थे। शर्मा के मुताबिक अगले माह से भाव धीरे-धीरे चढऩे लगेंगे। वहीं गुप्ता का कहना है कि नुकसान की खबर के चलते जुलाई से प्याज की कीमतों में तेजी की संभावना है। (BS Hindi)

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