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14 अप्रैल 2014

प्याज की आवक हुई कम, बढ़ सकते हैं दाम

देश के कई हिस्सों में हाल ही में हुई बेमौसम बारिश और ओला वृष्टि से प्याज की फसल खराब होने की आशंका अब बाजार पर भारी पडऩे लगी है। देश की प्रमुख प्याज मंडियों में लगातार आवक कम हो रही है। देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में रबी सीजन में प्याज का उत्पादन करीब 50 फीसदी घटने की बात कही जा रही है। इन खबरों की वजह से छोटे कारोबारी और किसान फिलहाल प्याज नहीं बेचना चाह रहे हैं, जिससे आवक कमजोर पडऩे लगी है। हालांकि कीमतों पर अभी खास फर्क नहीं पड़ा है, लेकिन लगातार कम हो रही आपूर्ति कीमतों में तेजी का साफ संकेत दे रही है। राज्य में प्याज की पैदावार कम होने का असर अभी से मंडियों में दिखाई देने लगा है। महाराष्ट्र की सबसे बड़ी प्याज मंडियों लासलगांव, नासिक और मुंबई में आवक लगातार कम हो रही है। इस महीने की शुरुआत में लासलगांव में 1,800 टन, मुंबई में 1,115 टन और नासिक में 280 टन प्याज आ रहा था, जो अब लगातार कम हो रहा है। 12 अप्रैल को इन मंडियों में आपूर्ति कम होकर क्रमश: 1,200 टन, 820 टन और 200 टन रह गई है। एपीएमसी कांदा-बट्टा मार्केट के कारोबारी मनोहर तोतलानी कहते हैं कि अभी से आपूर्ति कमजोर होना इस बात का संकेत है कि आने वाले समय में प्याज की कीमतें एक बार फिर लोगों को रुला सकती हैं। हालांकि अभी भी मांग के अनुरूप आपूर्ति हो रही है, लेकिन किसानों और छोटे कारोबारियों की रणनीति को देखते हुए कहा जा सकता है कि जल्द ही मांग की अपेक्षा आपूर्ति कम हो जाएगी। मांग और आपूर्ति लगभग बराबर होने की वजह से फिलहाल कीमतों में खास बदलाव नहीं आया है। एक अप्रैल को लासलगांव में प्याज की औसत कीमत 850 रुपये थी, जो 12 अप्रैल को भी लगभग वहीं थी। मुंबई में औसत थोक कीमत में 200 रुपये की कमी देखने को मिल रही है। नवी मुंबई थोक मंडी में एक अप्रैल को प्याज 1,000 रुपये क्विंटल था, जो इस समय घटकर करीब 800 रुपये प्रति क्विंटल है। नासिक में प्याज की कीमत 860 रुपये से बढ़कर 960 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है। वाशी कांदा-बट्टा मार्केट के कारोबारी रमेश भाई कहते हैं कि फिलहाल कीमतों में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं आया है, क्योंकि अभी फसल का सीजन है। लेकिन अगले महीने से कीमतों में बढ़ोतरी शुरू हो जाएगी, क्योंकि आपूर्ति अभी से कमी आना शुरू हो गई है। वह कहते हैं दरअसल पैदावार कम होने के साथ ही किसानों और छोटे कारोबारियों को लग रहा है कि अगर वे एक महीने अपने माल को रोक लेते हैं तो आने वाले समय में उनको अच्छे दाम मिलेंगे। इस समय प्याज को बिना कोल्ड स्टोरेज में रखे आराम से किसान अपने घरों में एक-दो महीने तक जमा रख सकते हैं। देश के कई हिस्सों में फरवरी और मार्च में हुई बारिश से प्याज की फसल को भारी नुकसान हुआ है। महाराष्ट्र में रबी सीजन में प्याज का उत्पादन करीब 50 से 60 फीसदी तक कम होने की आशंका है। राज्य में पिछले साल रबी सीजन के दौरान 6.04 लाख टन प्याज का उत्पादन हुआ था, जो इस बार 2.94 लाख टन होने की ही उम्मीद है। एपीएमसी नासिक मंडी के चेयरमैन नाना साहेब दत्ताजी पाटिल कहते हैं कि इस बार ओले और बारिश से महाराष्ट्र के अहमदनगर, पुणे, नासिक और सोलापुर जिलों में रबी और खरीफ सीजन के प्याज को भारी नुकसान हुआ है। राज्य में 47,000 हेक्टेयर में प्याज की फसल थी, जिसमें से 41,000 हेक्टेयर फसल बारिश से प्रभावित हुई है। इस सीजन में कई बार बारिश होन से प्रति हेक्टेयर पैदावार भी कम हुई है। पिछले रबी सीजन में राज्य में प्याज की औसत पैदावार 150 क्विंटल प्रति एकड़ थी, जबकि इस बार फसल खराब होने के कारण पैदावार कम होकर 50-60 क्विंटल प्रति एकड़ रह गई है। राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान की रिपोर्ट में इस साल प्याज की पैदावार कम होने की आशंका जताई जा चुकी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि असमय बारिश और ओलावृष्टि के कारण प्याज उत्पादक प्रमुख राज्य मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में उत्पादन 15 फीसदी तक कम हो सकता है। गौरतलब है कि शुरुआती अनुमान के मुताबिक वर्ष 2013-14 में करीब 190 लाख टन प्याज पैदा होने की उम्मीद थी, लेकिन नुकसान के बाद अब इसमें 10 फीसदी तक की कमी आने की आशंका जताई जा रही है। वर्ष 2012-13 में 175.1 लाख टन प्याज पैदा हुई थी।a (BS Hindi)

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