कुल पेज दृश्य

08 अप्रैल 2014

कृषि रसायन क्षेत्र पर भारी दबाव

खेतों में कृषि रसायनों का उपयोग कम करने के लिए सरकार ने गर्मी और सूखा सहन करने में सक्षम हाइब्रिड बीजों के इस्तेमाल के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। इससे देश के 21,000 करोड़ रुपये के कृषि रसायन उद्योग भविष्य की वृद्धि को लेकर दबाव में है। इस समय देश में कृषि रसायनों की खपत महज 600 ग्राम प्रति हेक्टेयर है। यह उन देशों से भी बहुत कम है, जिनका कृषि रकबा कम है। उदाहरण के लिए ताइवान, जापान और कोरिया में कृषि रसायनों की खपत भारत से ज्यादा है। यह इस बात को इंगित करता है कि भारतीय किसान कृषि रसायनों का कम इस्तेमाल करते हैं और देश की कृषि रसायन कंपनियों के लिए अपना व्यापार बढ़ाने में विफल रही हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक स्वप्न के दत्त ने कहा, 'फसलें खेतों में फसल सुरक्षा के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कृषि रसायन का 35 फीसदी ही सोखती हैं। शेष 65 फीसदी पर्यावरण और नदियों में जाता है और यह हवा और पानी को प्रदूषित करता है। इसलिए फसलों की सुरक्षा के लिए खेतों में कृषि रसायनों का इस्तेमाल कम करना जरूरी है। गर्मी और सूखा सहन करने में सक्षम बीज आने से आने वाले समय में कृषि रसायनों का उपयोग कम हो सकता है।Ó दत्त ने यह बात भारतीय उद्योग परिसंघ के सेमिनार 'एड्रेसिंग चैलेंज्स ऑफ फूड सिक्योरिटी' विषय पर आयोजित विमर्श से इतर कही। गर्मी और सूखा सहन करने में सक्षम हाइब्रिड बीजों के आने से फसलों में रसायनों का छिड़काव कम होगा, जिससे उत्पादित जिंसों में कीटनाशकों का अंश भी कम होगा और कृषि उत्पादन की लागत भी घटेगी। गौरतलब है कि देश की जेनेटिकली इंजीनियरिंग अप्रूवल कमेटी (जीईएसी) ने जीन संवर्धित बीजों की 11 नई किस्मों के मृदा परीक्षण को मंजूरी दे दी है। दत्त ने कहा, 'हाइब्रिड बीजों पर ध्यान बढ़ाने और कृषि रसायनों के कम इस्तेमाल की दिशा में यह पहला कदम है। इस दिशा में हमें बहुत आगे जाना है।' महीने भर में जीएम जूट देश में अगले एक महीने में जीन संवर्धित (जीएम) जूट की वाणिज्यिक बिक्री शुरू हो सकती है। कोलकाता विश्वविद्यालय में विकसित जीएम जूट की वाणिज्यिक बिक्री की स्वीकृति के लिए इसे अगले महीने जेनेटिकली इंजीनियरिंग अप्रूवल कमेटी (जीईएसी) के पास भेजा जाएगा। अगर मंजूरी मिल गई तो जीएम जूट जीएम कपास के बाद अपनी तरह की दूसरी फसल होगी। जीएम कपास की व्यावसायिक बिक्री को 2002 में मंजूरी दी गई थी और इसे बड़ी सफलता मिली है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के उप-महानिदेशक स्वप्न के दत्त ने कहा, 'जीएम जूट तैयार है। कोलकाता विश्वविद्यालय व्यावसायिक बिक्री शुरू करने के लिए जीईएसी को आवेदन भेजेगा।' किसानों को उम्मीद है कि कपास की तरह जूट की जीएम किस्म भी सफल रहेगी। दत्त ने कहा, 'गैर-खाद्य फसल होने से जीईएसी को इसे मंजूरी देने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए। नियामक की चिंता खाद्य उत्पादों को लेकर ही है।' (BS Hindi)

कोई टिप्पणी नहीं: