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09 मार्च 2015

बारिष, ओलावृश्टि और तेज हवा से रबी फसलों को भारी नुकसान


आर एस राणा
नई दिल्ली। मार्च महीने में दूसरी बार उत्तर भारत के राज्यों में भारी बारिष के साथ तेज हवां चलने और ओलावृश्ठि से रबी की प्रमुख फसलों गेहूं, चना, सरसों और जौ की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। इससे इन फसलों की प्रति हैक्टेयर उत्पादकता में तो कमी आयेगी ही, साथ ही कटाई के लिए तैयार फसलों की क्वालिटी भी प्रभावित होगी। मौसम विभाग ने 12 मार्च को फिर से खराब मौसम की आषंका जताई है जिसने किसानों की चिंता को और बढ़ा दिया है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार पष्चिमी विक्षोभ के कारण उत्तर भारत के राज्यों में बारिष के साथ ही तेज हवा चल रही है। पहाड़ी इलाकों में इससे बर्फबारी हो रही है। आईएमडी के अनुसार उत्तर भारत के राज्यों में 12 मार्च के बाद फिर से मौसम खराब होने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार भारी बारिष, तेज हवा और ओलावृश्टि से कई राज्यों में 30 से 50 फीसदी तक गेहूं की फसल खेतों में बिछ गई है।
भारतीय कृशि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के डॉ. जे पी डबास ने बताया कि मार्च महीने में गेहूं की फसल में दाने भर जाते हैं तथा सरसों और चने की फसल पक जाती है। ऐसे में भारी बारिष, ओलावृश्टि और तेज हवा चलने से गेहूं, चना, सरसों और जौ की फसलों को नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि तेज हवा चलने से गेहूं की फसल खेतों में बिछ गई है जिसका असर प्रति हैक्टेयर उत्पादकता के साथ ही क्वालिटी पर भी असर पड़ेगा। आलू जिसकी खुदाई हो चुकी है और खेतों में पड़ा हुआ है उसकी क्वालिटी भी बारिष से प्रभावित होगी।
कृशि मंत्रालय के एक वरिश्ठ अधिकारी ने बताया कि उत्तर भारत के राज्यों में मार्च महीने में दषकों बाद ऐसी बारिष हुई है। मार्च महीने में चने और सरसों की कटाई षुरू हो जाती है जबकि गेहूं की फसल में दाने पड़ जाते हैं। ऐसे समय में बारिष, तेज हवा और ओलावृश्टि होने से रबी फसलों की पैदावार में कमी आना तय है। भारी बारिष से खेतों में पानी खड़ा हो गया है तथा गेहूं की फसल खेतों में बिछ गई है इससे प्रति हैक्टेयर उत्पादकता में भारी कमी आयेगी। ओलावृश्टि से सरसों की तैयार खड़ी फसल झड़ गई है इसका असर भी प्रति हैक्टेयर उत्पादकता पर पड़ेगा।
कृशि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में गेहूं के साथ ही चना और सरसों की बुवाई पिछले साल की तुलना में कम हुई है, साथ ही मौसम की मार भी फसलों पर पड़ी है। ऐसे में चालू रबी में गेहूं के साथ ही सरसों, जौ और चने की पैदावार में कमी आयेगी।.......आर एस राणा

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