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18 मार्च 2015

खराम मौसम से जौ की नई फसल की आवक में देरी


पुराना स्टॉक नहीं होने से कई माल्ट कंपनियां बंद
आर एस राणा
नई दिल्ली। प्रमुख उत्पादक राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेष और उत्तर प्रदेष में बारिष से जौ की नई फसल की आवक लेट हो गई है जबकि उत्पादक मंडियों में पुराना स्टॉक काफी कम है। इसीलिए कई माल्ट कंपनियों ने उत्पादन बंद कर दिया है। पुराने माल की कमी के कारण उत्पादक मंडियों में चालू महीने में जौ की कीमतों में करीब 150 रूपये की तेजी आकर मंगलवार को भाव 1,450 रूपये प्रति क्विंटल हो गए। मौसम साफ रहा तो नई फसल की आवक चालू महीने के आखिर तक बनेगी, ऐसे में मौजूदा कीमतों में और भी 40-50 रूपये प्रति क्विंटल की तेजी बनने की संभावना है।
थोक कारोबारियों के अनुसार उत्पादक मंडियों में जौ का पुराना स्टॉक लगभग समाप्त हो गया है जबकि खराम मौसम से नई फसल की आवक लेट हो गई है। ऐसे में कई माल्ट कंपनियों ने उत्पादन बंद कर दिया है तथा जो कंपनिया चल रही है उनके पास अपना स्टॉक बचा हुआ है। मौसम साफ रहा तो अगले आठ-दस दिनों में नए जौ की आवक षुरू हो जायेगी, इसलिए कंपनियां जौ के आयात सौदे भी नहीं कर रही हैं। माल्ट कंपनियां गुड़गाव पहुंचा जौ के सौदे 1,580 रूपये प्रति क्विंटल की दर से कर रही हैं लेकिन माल नहीं मिल रहा है।
व्यापारिक सूत्रों का मानना है कि उत्पादक मंडियों में जौ की दैनिक आवक घटकर 100 से 200 बोरियों की रह गई है तथा इस समय पषुआहार वालों की ही मांग निकल रही है। उत्पादक मंडियों में जौ के दाम 1,350 से 1,450 रूपये प्रति क्विंटल क्वालिटीनुसार चल रहे हैं। 25 मार्च के बाद उत्पादक मंडियों में नए जौ की आवक षुरू हो जायेगी। मंडियों में माल की षार्टेज है इसलिए मौजूदा कीमतों में 20 से 50 रूपये प्रति क्विंटल की तेजी तो आ सकती है लेकिन ज्यादा तेजी की उम्मीद नहीं है।
थोक व्यापारियों के अनुसार बारिष से जौ की फसल को नुकसान तो हुआ है लेकिन पैदावार पिछले साल से ज्यादा ही होने का अनुमान है। ऐसे में अप्रैल में उत्पादक मंडियों की जौ की दैनिक आवकों का दबाव बनने से मौजूदा कीमतों में 200 से 250 रूपये प्रति क्विंटल की गिरावट आने का अनुमान है। हालांकि जुलाई के बाद कीमतों में फिर तेजी बनने की संभावना है।
कृशि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में जौ की पैदावार घटकर 17.7 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 18.3 लाख टन की पैदावार हुई थी।........आर एस राणा

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