कुल पेज दृश्य

07 मार्च 2015

खाद्यान्न कीमतों में भारी गिरावट

वैश्विक बाजार में खाद्यान्नों की कीमत 14 फीसदी गिरकर फरवरी में 55 महीनों के निम्रतम स्तर तक पहुंच गई। खबरों के मुताबिक वर्ष 2014 में जबरदस्त उत्पादन के चलते दुनिया भर में खाद्यान्न का स्टॉक रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। संयुक्त राष्टï्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के आंकड़ों के मुताबिक फरवरी, 2015 में औसत खाद्य कीमत सूचकांक 179.4 अंक दर्शाया गया है जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह सूचकांक 208.6 अंक पर था। जनवरी, 2015 में खाद्य मूल्य सूचकांक 181.2 अंकों पर था।

इस अनुमान से यह संकेत मिलता है कि कृषि जिंसों खासकर अनाज का वैश्विक कारोबार स्थानीय फसलों की जबरदस्त उपलब्धता के कारण आमतौर पर मंदा ही रहेगा। एफएओ के डेयरी और पशुधन बाजार विशेषज्ञ माइकल ग्रिफिन ने कहा, 'गेहूं उत्पादन के लिए बढ़ती संभावनाएं खाद्य मूल्य सूचकांक में आई भारी गिरावट को दर्शाती है। चावल की कीमतें अधिक स्थायी हैं, महकने वाले चावलों की कीमत तेजी से बढ़ रही हैं जिससे अन्य प्रकार के चावल की कीमत में आई गिरावट की भरपाई हो रही है। ध्यान देने की बात यह है कि वर्ष 2015 में ज्यादातर फसलों से बेहतर पैदावार होने की उम्मीद की जा रही है। ज्यादातर अनाज का भरपूर स्टॉक मौजूद है।'

उन्होंने कहा कि जुलाई 2010 के बाद सर्वाधिक निचले स्तर तक कीमतों का गिर जाना दर्शाता है कि बाजार में आपूर्ति की स्थिति काफी मजबूत है, साथ ही अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कई मुद्राओं की कमजोरी भी इसकी एक वजह है। यह रुझान आगे भी जारी रहने की संभावना है। एफएओ द्वारा जारी की गई हालिया रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में अनाज उत्पादन वर्ष 2014-15 के दौरान 254.18 करोड़ टन रहने का अनुमान है। पिछले साल के बचे हुए स्टॉक 61.53 करोड़ टन के साथ अनाज की कुल आपूर्ति 315.71 करोड़ टन हो जाएगा जबकि कुल खपत 247.52 करोड़ टन ही है। 5 मार्च, 2015 तक कुल शेष स्टॉक 68.19 करोड़ टन होने का अनुमान है जो अब तक का सर्वोच्च स्तर है।

वर्ष 2013-14 के दौरान हालांकि कुल अनाज उत्पादन 252.22 करोड़ टन रहा था। बाकी बचे 50.5 करोड़ टन के साथ अनाजों की कुल उपलब्धता 302.72 करोड़ टन रही थी। मौजूदा साल के दौरान अनाज की कुल उपलब्धता पिछले साल के मुकाबले 13 करोड़ टन अधिक रहने का अनुमान है। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि वैश्विक कारोबार वर्ष 2014-15 के दौरान कमजोर रहने का अनुमान है। अनुमान के मुताबिक वर्ष 2014-15 के दौरान वैश्विक कारोबार 34.42 करोड़ टन रह सकता है जबकि पिछले वर्ष यह 35.74 करोड़ टन था। स्थानीय उत्पादन में जबरदस्त इजाफा होने की वजह से वैश्विक कारोबार में गिरावट दर्ज की जा रही है। (BS Hindi)

कोई टिप्पणी नहीं: