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03 अप्रैल 2015

पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण की सरकारी योजना धीमी

एथेनॉल खरीद के तीसरे चरण के अभिरुचि पत्र को कमजोर प्रतिक्रिया मिली। इसमें चीनी मिलों ने तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा खरीद के लिए जारी की गई निविदा की एक-तिहाई से भी कम आपूर्ति की पेशकश की।
पिछले सप्ताह भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) की अगुआई में तेल विपणन कंपनियों ने डिस्टिलरी इकाइयों से 'भारत में उत्पादित' 36.7 करोड़ लीटर एथेनॉल खरीद के लिए अभिरुचि पत्र जारी किया था। लेकिन चीनी मिलों ने महज 11 करोड़ लीटर एथेनॉल आपूर्ति की पेशकश की, जिसमें 7.8 करोड़ लीटर की पेशकश तेल विपणन कंपनियों ने स्वीकार कर ली हैं। लेकिन 3.2 करोड़ लीटर की आपूर्ति पेशकश ठुकरा दी गई हैं।
चीनी मिलों से कुल 156 करोड़ लीटर एथेनॉल की खरीद के लिए तीसरा अभिरुचि पत्र पहले और दूसरे चरणों के तुरंत बाद जारी किया गया था और तेल विपणन कंपनियों ने पिछले साल एक अलग से निविदा जारी की थी। पेशकश स्वीकृति तय होने के बाद तेल विपणन कंपनियां शेष मात्रा के लिए अभिरुचि पत्र खोलेंगी। ऑल इंडिया डिस्टिलर्स एसोसिएशन के महानिदेशक वी एन रैना ने कहा, 'चीनी मिलें पहले ही पेय एल्कोहल विनिर्माताओं के साथ 42 से 46 रुपये प्रति लीटर कीमत पर आपूर्ति के लंबी अवधि के करार कर चुकी हैं, जबकि एथेनॉल की आधार कीमत 42 रुपये प्रति लीटर है। इसलिए एथेनॉल उत्पादन के लिए बहुत कम मात्रा बची है। इसके अलावा राज्य करों और तेल विपणन कंपनियों द्वारा पेशकश स्वीकार करने के बारे में कुछ पता नहीं होने से एथेनॉल आपूर्ति को लेकर अनिश्चितता पैदा हो गई है।
चीनी क्षेत्र की शीर्ष संस्था भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के आंकड़ों से पता चलता है कि तेल विपणन कंपनियों ने 75.3 करोड़ लीटर एथेनॉल आपूर्ति की पेशकश स्वीकार की हैं, लेकिन अब तक उन्होंने केवल 3.9 करोड़ लीटर एथेनॉल खरीदा है। इसका मतलब है कि तेल विपणन कंपनियों ने नवंबर, 2015 तक मांगी गई 156 करोड़ लीटर में से महज 2 फीसदी खरीद की है। अगर पूरी स्वीकृत मात्रा की खरीद की जाती है तो तेल विपणन कंपनियां 2.5 फीसदी मिश्रण लक्ष्य हासिल कर पाएंगी। इस्मा के महासचिव अविनाश वर्मा ने कहा, 'तेल विपणन कंपनियां ने 75.3 करोड़ लीटर की बोलियां स्वीकार की हैं, इसलिए 5 फीसदी मिश्रण का लक्ष्य हासिल करने के लिए इसकी 50 फीसदी मात्रा जरूरी होगी। उद्योग के पास अतिरेक चीनी है, जिसे एथेनॉल में परिवर्तित किया जा सकता है। इसके लिए तेल विपणन कंपनियां सही कीमत चुकाएंगी। सरकार को या तो एथेनॉल पर 12.5 फीसदी केंद्रीय उत्पाद शुल्क माफ करना चाहिए या इस हरित ईंधन की कीमत कम से कम 5 रुपये प्रति लीटर बढ़ानी चाहिए, ताकि सरप्लस चीनी से एथेनॉल बनाने को फायदेमंद बनाया जा सके।'
कुछ वर्षों पहले सरकार ने पेट्रोल में 5 फीसदी एथेनॉल मिश्रण अनिवार्य किया था, ताकि विदेशी मुद्रा का बहिर्गमन कम हो और चालू खाते के बढ़ते घाटे पर नियंत्रण लग सके। लेकिन चीनी मिलों से कम आपूर्ति और तेल विपणन कंपनियों के धीमे उठान  के कारण यह लक्ष्य अभी तक हासिल नहीं हो पाया है। तेल विपणन कंपनियों ने भारत में उत्पादित एथेनॉल की आपूर्ति की मांग की है।
एथेनॉल सलाहकार कंपनी एथेनॉल इंडिया डॉट नेट के मुख्य सलाहकार दीपक देसाई ने कहा, 'हालांकि इस बार धीमा उठाव एक बड़ा कारण रहा है। वैश्विक बाजारों में एथेनॉल की कीमतें तेजी से गिरी हैं। पेय एल्कोहल विनिर्माता ऊंची कीमत दे रहे हैं, लेकिन औद्योगिक उपयोगकर्ता यानी रसायन विनिर्माता घरेलू खरीद पर आयात को तरजीह दे रहे हैं। अब तक रसायन उद्योग अपनी 70 करोड़ लीटर सालाना खपत में से 5 करोड़ लीटर औद्योगिक एल्कोहल की खरीद कर चुका है। इसका मतलब है कि रसायन उद्योग से भी एल्कोहल की मांग बहुत कमजोर रही है।' उद्योग के सूत्रों के मुताबिक 42 रुपये प्रति लीटर की आधार कीमत (नजदीक के आधार पर एक्स-डीपो कीमत 48 से 49.5 रुपये प्रति लीटर) और कच्चे तेल की गिरती कीमतों के कारण तेल विपणन कंपनियों की एथेनॉल खरीद धीमी है। इसके साथ ही पिछले कुछ महीनों के दौरान रेक्टिफाइड स्पिरिट (आरएस) और एक्सट्रा न्यूट्रल एल्कोहल (ईएनए) की कीमतें करीब 70 फीसदी गिरकर क्रमश: 28 से 29 रुपये और 31 रुपये प्रति लीटर पर आ गई हैं। (BS Hindi)

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