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18 मई 2015

बुनियादी ढांचे की कमी से आम निर्यात को नुकसान

आम को पसंद करने वाले ही नहीं बल्कि निर्यातकों की नजर भी इस साल कम उत्पादन की ओर लगी हुई हैं। देश में आम का सबसे अधिक उत्पादन करने वाले राज्यों में उत्पादन 50 फीसदी कम है जिसकी वजह से देसी बाजार में कीमतें पहले से ही उच्च स्तर पर है और इस वजह से इस वर्ष निर्यात भी कम रहने की आशंका है। पुणे में आयात-निर्यात का काम करने वाला रेनबो इंटरनैशनल मैंगोवाले डॉट कॉम के जरिये ऑनलाइन खुदरा कारोबार भी करता है। कंपनी के प्रबंध निदेशक अभिजित भसाले ने कहा, 'महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक  जैसे प्रमुख आम उत्पादक राज्यों में उत्पादक राज्यों में उत्पादन 50 फीसदी तक कम है। इससे देसी बाजार में आम की उपलब्धता और निर्यात पर सीधा असर पड़ेगा।' वितरकों और कारोबारियों का कहना है कि आंध्र प्रदेश जैसे क्षेत्र पिछले साल अक्टूबर में हुदहुद से बुरी तरह प्रभावित हुए थे और इसके बाद इस साल बेमौसम बारिश से नुकसान हुआ। इस क्षेत्र में सामान्य के मुकाबले 25-30 फीसदी उत्पादन ही हुआ है जो प्रति वर्ष करीब 2,00,000 टन होता है। ठीक इसी तरह गुजरात के निर्यातकों का कहना है कि आमतौर पर अप्रैल के मध्य से ही निर्यात संबंधी पूछताछ शुरू हो जाती है, हालांकि इस साल कुछ निर्यातकों के पास ही निर्यात संबंधी पूछताछ आई है।

तलाला कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएमसी) के सचिव हरसुख जरसानिया ने कहा, 'गुजरात के पास एपीडा से मान्यताप्राप्त आम पैकजिंग सुविधा नहीं है। ये भी गुजरात के लिए एक तरह का नुकसान ही है।' गुजरात केसर आम का बड़ा निर्यात है। कारोबारियों का आरोप है कि इस साल आम निर्यात की गुणवत्ता की वजह से लोगों की दिलचस्पी कम है। इस साल जनवरी से अप्रैल के बीच आम की फसल के लिए मौसम अच्छा नहीं रहा। गुजरात के आम उत्पादक क्षेत्र में बेमौसम बारिश की वजह से आम की फसल बुरी तरह बरबाद हुई है। गुजरात के गिर क्षेत्र में आम का कारोबार करने वाले संजय वेकारिया कहते हैं, 'गुणवत्ता इस बार अहम मसला है। निर्यात के लिए उपयुक्त गुणवत्ता की कमी है। हालांकि हम बाजार में नियमित आपूर्ति का इंतजार कर रहे हैं।' 

तलाला एपीएमसी गुजरात में आम की नीलामी की सबसे बड़ी जगह है यहां मुख्य रूप से केसर आम का कारोबार होता है। यहां नीलामी 19 मई से शुरू होने की उम्मीद है जो पिछले साल के मुकाबले करीब 20 दिन देर है। कारोबारियों को उम्मीद है कि केसर आम की कीमत 450 रुपये प्रति 10 किग्रा रहेगी जो पिछले साल के मुकाबले 150 रुपये अधिक है। एपीडा इस मामले को लेकर हो-हल्ला नहीं मचा रही है। एपीडा (पश्चिम) के क्षेत्रीय प्रमुख सुधांशु ने कहा, 'यूरोपीय संघ को किया जाने वाला निर्यात 24 मार्च से शुरू किया गया। यह 3 टन प्रतिदिन के न्यूनतम स्तर पर है। हालांकि हम गोरेगांव में एक नए हॉट वाटर ट्रीटमेंट संयंत्र के शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं जिसे एपीडा शुरू करने जा रहा है। यूरोपीय संघ को किए जाने वाले निर्यात में इसके बाद इजाफा होगा।'

हॉट वाटर ट्रीटमेंट यूरोपीय संघ को निर्यात करने के लिए जरूरी होता है। भसाले का आरोप है कि यूरोपीय संघ ने इस बारे में दिसंबर के आसपास भारतीय सरकार को लिख दिया लेकिन इसके बावजूद इस संबंध में दिशा-निर्देश आने में समय लगा। उन्होंने कहा, 'सरकार ने मार्च के आसपास निर्देश जारी किए और कई निर्यातक इसके लिए तैयार नहीं हैं।'  इसके अलावा पिछले कुछ सालों के दौरान भारत से होने वाले आम के निर्यात में गिरावट आई है। वर्ष 2013-14 में आम का निर्यात 41,280 टन था जबकि 2012-13 में 55,585 टन था।  BS Hindi

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